आसनसोल, अबतक बिहार झारखंड और उत्तर प्रदेश से माउंटेन मैन दसरथ माझी को भारत रत्न दिलाने की मांग उठ रही थी पर वह मांग अब पश्चिम बंगाल तक पहुँच गई है करीब दस हजार से ऊपर की संख्या मे भूँईया समाज के लोगों ने एक विशाल अर्धनग्न रैली का आयोजन किया जो रैली पश्चिम बर्धमान जिला शासक के कार्यालय तक गई
और पश्चिम बर्धमान के जिला शासक एस पणम बलम को ज्ञापन देकर माउंटेन मैन दसरथ माझी को भारत रत्न देने की मांग की, भूँईया समाज के नेता सिंटू भूँईया ने बताया की उनकी अर्धनग्न रैली भारत की असली छवि है, उन्होने यह भी कहा की देश के किसान, मजदूर, दलित, एस सी, एस टी वस्त्र पहनकर भी नीरवस्त्र हो चूका है,

सैक्षनिक रूप से आर्थिक रूप से समाजिक रूप से, वस्त्र रहकर भी हम नीरवस्त्र हो गए हैं, उन्होने कहा समाज को तभी सम्मान और वस्त्र मिलेगा जब देश के हित मे काम करने वाले माउंटेन मैन दसरथ माझी को भारत रत्न मिलेगा, समाज तभी पूर्ण रूप से सिक्षित होगा जब हर जिलों मे बाबा भीम राव अम्बेडकर के नाम से भी पार्क, लाइब्रेरी और स्कुल का स्थापना होना चाहिए, गरीबों के बच्चों के लिये इंग्लिश मेडियम स्कुल बनना चाहिए,
उन्होने यह भी कहा की सरकार दावे कर रही है वह गरीबों को घर बनवाकर दे रही है, अपनी योजनाओं से जोड़ रही है पर उनकी जमीनी हकीकत कुछ भी नही है, वह गरीबों के घरों को तोड़कर इसीएल, रेल, शेल जैसी कई कंपनियों को बसा रही है, उन्होंने सरकार को यह चेतावनी देते हुए
कहा की यह देश किसान, मजदूर, दलित, एस सी, एस टी की है, अगर जरुरत पड़ी तो वह भी अपने पूर्वजों के तरह लड़ाई लड़ेंगे, जिस तरह उनके पूर्वज अपने हक के किये अंग्रेजों से लड़े थे, ठीक उसी तरह वह समाज के हक के लिये वह सरकार से लड़ेंगे और इस देश को वह समाजिक रूप से आजाद करवाएंगे, उन्होने कहा देश के पूंजी पतियों के बच्चे विदेशों मे जाकर पढ़ाई कर रहे हैं
पर देश के बच्चे यहाँ के इंग्लिश मेडियम स्कूलों मे पढ़ने के लिये तरस रहे हैं, उन्होने कहा की इस देश की वेवस्था ने उनको उनके समाज को नीरवस्त्र किया है जिसके लिये वह देश के हर राज्य मे जाकर आंदोलन करेंगे, उन्होने माउंटेन मैन दसरथ माझी और डॉक्टर भीम राव अम्बेडकर को अपना आईकोण मानकर अपनी मांगो को बुलंद करने का काम किया है,
हम बताते चलें जिस माउंटेन मैन दसरथ माझी को भारत रत्न दिलाने की मांग को लेकर यह आंदोलन शुरू हुआ है, वह दसरथ माझी की कहानी

मुगल बादशाह शाहजहां के प्यार की कहानी से कम नही है, एक तरफ जहाँ शाहजहां ने अपने प्यार के खातिर ताजमहल बना दिया था तो वहीं दूसरी ओर माउंटेन मैन दसरथ माझी ने अपने प्यार के लिये पहाड़ काटकर रास्ता बना दिया, बताया जाता है की वह अपने हाथों से 22 वर्षों तक उस पहाड़ की चट्टानों को काटते रहे थे जो उनकी पत्नी की मौत की वजह बनी थी. वर्ष 1960 से लेकर 1982 तक पहाड़ को पागलों की तरह छेनी और हथौड़ी से काट डाला था. 22 सालो में 25 फीट ऊंचा, 30 फीट चौड़ा और 360 मीटर लंबे पहाड़ को काटकर आम लोगों के लिए रास्ता बना दिया. इस रास्ते के बन जाने से गहलौर से वजीरगंज सहित कई गांवों के आवागमन के लिए 40 किलोमीटर की दूरी कम गई. इसे मोहब्बत का प्रतीक भी कहा जाता है
NEWS ANP के लिए आसनसोल से अमरदेव की रिपोर्ट..