गिरीडीह(GIRIDIH) तिसरी व गांवा बन क्षेत्र के असुरहड्डी जंगलों में इन दिनों कीमती पत्थर “बैरल” पत्थरों का खनन धड़ल्ले से जारी है।
हैरत की बात है कि गिरिडीह के वन प्रक्षेत्र में होने के बावजूद वन विभाग द्वारा इस पर कोई रोकथाम नहीं किया जा रहा है..
बता दें गिरीडीह के असुरहड्डी के जंगलों में पूर्व में एक दो मौत के बाद भी अवैध सुरंग में खनन संचालित हो रहीं है ..
यहां अभी भी दर्जनों अवैध सुरंग नजरत आयेंगे। इतना ही नहीं इस मौत के सुरंगों में जाकर कई मजदूर अपनी जान जोखिम में डाल कर “बैरल” पत्थर का अवैध खनन कर रहे हैं।
हालांकि पूर्व में कई बार वन विभाग के टीम द्वारा कई सुरंगों को जेसीबी मशीन के द्वारा ध्वस्त जरूर किया गया किंतु अब वन विभाग द्वारा ध्यान नहीं देने के कारण यह धंधा जोर पकड़ता जा रहा है।
मिली जानकारी के अनुसार पहले इस व्यवसाय में एक दो लोग संलिप्त थे किंतु अब इस अवैध कारोबार में दर्जनों से अधिक लोग जुड़ चुके हैं।
वन विभाग की चुप्पी से तस्करों का स्वर्ग बना असुरहड्डी..जानिए कौन है अवैध कारोबार का धंधेबाज..
लोगों में चर्चाओं के मुताबिक इन कारोबारियों में रामधनी साव, दारा साव, मनोज यादव, सुनील यादव, धर्मेंद्र साव, अशोक राणा, पिंटू यादव, संतोष यादव, सरजू राय सहित अन्य के नाम शामिल हैं।
बता दें जंगलों में उत्खनन किए जा रहे ये “बैरल” पत्थर की कीमत बड़े शहरों एवं विदेशी बाजारों में काफी अधिक है जिस कारण लोग इस कारोबार में जुड़ते जा रहे हैं। वहीं प्राकृतिक खनिज के धड़ल्ले से उत्खनन और बिक्री होने से ना सिर्फ सरकार के राजस्व को हानि हो रही है..बल्कि जंगलों एवं पर्यावरण को भी काफी नुकसान पहुंचाया रहा है।
इस संबंध में पूछे जाने पर रेंजर अनिल कुमार ने कहा कि गिरीडीहवन प्रक्षेत्र में किसी प्रकार का अवैध उत्खनन नहीं करने दिया जायेगा। वहीं इस अवैध उत्खनन को रोकने के लिए जल्द ही कार्रवाई की जा रहीं है,।।
NEWS ANP के लिए गिरिडीह से मनोज लाल बर्नवाल की रिर्पोट…
