
धनबाद(DHANBAD)।झारखण्ड का टाइगर कहे जाने वाले नेता चंपई सोरेन लगातार 4 बार सरायकेला विधानसभा क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करते आ रहे हैं, इससे पूर्व सन 2000 में इन्हें हार का सामना करना पड़ा था. तत्कालीन भाजपा प्रत्याशी अनंत राम टुडू ने इन्हें शिकस्त दी थी. उसके बाद से वे लगातार विधानसभा चुनाव जीतते आए हैं। वर्ष 2010, 13 और 2019 में वे झारखंड सरकार में कैबिनेट मंत्री बने.सामान्य किसान परिवार से आते हैं चंपई सोरेन अपने चार भाई-बहनों में चंपई सोरेन सबसे बड़े हैं उनके पिता सरायकेला-खरसावां जिले में स्थित जिलिंगगोरा गांव में खेती करते थे।चंपई सोरेन भी अपने पिता की मदद करते थे चंपई सोरेन ने 10 वीं तक सरकारी स्कूल में पढ़ाई की इसी बीच कम उम्र में ही उनकी शादी मानको से हो गई शादी के बाद चंपई सोरेन के 3 बेटे और 2 बेटियां है।
झारखंड आंदोलन में चंपई सोरेन का अहम भूमिका
चंपई सोरेन का झारखंड आंदोलन में भी बड़ा योगदान रहा है जब अलग राज्य झारखंड की मांग तेज होने लगी और आंदोलन शुरू किया गया. तब झारखंड में शिबू सोरेन के साथ चंपई भी आंदोलन में शामिल हो गये. जल्द ही वह ‘झारखंड टाइगर’ के नाम से मशहूर हो गये. इसके बाद चंपई सोरेन ने सरायकेला सीट से उपचुनाव में निर्दलीय विधायक बनकर अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत की. इसके बाद वह झारखंड मुक्ति मोर्चा में शामिल हो गये.बीजेपी सरकार में भी रहे मंत्री: 2010 से 2013 के दौरान बीजेपी नेता अर्जुन मुंडा की 2 साल 129 दिन की सरकार में उन्हें कैबिनेट मंत्री बनाया गया और अहम मंत्रालय दिए गए. चंपई सोरेन 11 सितंबर 2010 से 18 जनवरी 2013 तक मंत्री रहे. इसके बाद झारखंड में राष्ट्रपति शासन लगा दिया गया. लेकिन फिर झामुमो की सरकार बनी और उन्हें खाद्य, नागरिक आपूर्ति और परिवहन मंत्रालय का पदभार सौंपा गया. वे 13 जुलाई 2013 से 28 दिसंबर 2014 तक मंत्री रहे।
NEWS ANP के लिए संतोष की रिपोर्ट…