रांची(RANCHI) शराब घोटाला के जरिए मनी लॉन्ड्रिंग करने के आरोपी योगेंद्र तिवारी और उसकी अलग-अलग कंपनियों के खिलाफ अब तक हुई जांच में ईडी ने कई अहम खुलासे किए हैं.
ईडी ने इस मामले की अब तक की जांच के बाद कोर्ट में जो आरोप पत्र दाखिल किया है, उसमें कहा गया है कि 23 अगस्त को शराब घोटाला से जुड़े केस में जब पहली बार एजेंसी ने योगेंद्र तिवारी के ठिकानों पर रेड की थी, तब एक मोबाइल चावल के बोरे में छुपाकर रखा हुआ मिला था. अलग-अलग जगहों पर सीसीटीवी कैमरे लगे हुए थे,
लेकिन सीसीटीवी का हार्ड डिस्क रेड से कुछ दिन पहले ही हटा दिया गया था. 23 अगस्त की रेड से कुछ दिन पहले दो लोग एक कार में आए और योगेंद्र तिवारी के ठिकाने से बालू और शराब के कारोबार से जुड़े हुए महत्वपूर्ण फाइल, व्यापार से जुड़े कागजात, कम्प्यूटर और सीसीटीवी का हार्ड डिस्क अपने साथ ले गए.
23 अगस्त को योगेंद्र तिवारी के यहां हुई रेड में उसके पास से जो मोबाइल बरामद हुआ था, उसका सारा डाटा भी डिलीट किया जा चुका था. उसे रेड का आभास पहले से ही था, शायद इसकी वजह से उसने सभी साक्ष्य नष्ट कर दिए थे. इतना ही नहीं शराब और बालू के कारोबार के संचालन के लिए जिन मेल mihijam1234@gmail.com और mihijam810@gmail.com का इस्तेमाल किया जाता था.
वह भी डिलीट कर दिए गए थे. ईडी से बचने के लिए और अपनी बातचीत को गुप्त रखने के लिए योगेंद्र तिवारी ने दो सिम कार्ड का इस्तेमाल करना शुरू कर दिया और दोनों सिम को सात अलग-अलग मोबाइल में डालकर इस्तेमाल करता था.
बता दें कि ईडी ने बीते वर्ष 23 अगस्त को योगेंद्र तिवारी के 34 ठिकानों पर एक साथ छापेमारी की थी. योगेंद्र तिवारी के देवघर स्थित होटल सिद्धार्थ के सामने स्थित गोदाम, बोम्पास टाउन स्थित डॉ. राजीव पांडेय अस्पताल के पास स्थित आवास, हरमू हाउसिंग कॉलोनी के डी-2 स्थित मेसर्स संथाल परगना बिल्डर्स प्राइवेट लिमिटेड और जामताड़ा के दो ठिकानों पर छापेमारी की गई थी.
NEWS ANP के लिए कुंवर अभिषेक सिंह की रिपोर्ट..
