धनबाद (DHANBAD)पीएम श्री जेएनवी कोडरमा की कक्षा 9वीं और 10वीं की 100 से अधिक छात्राओं ने आज उच्च स्तरीय उपकरणों से सुसज्जित आईआईटी (आईएसएम) की अत्याधुनिक प्रयोगशालाओं का दौरा किया और संस्थान के संकाय सदस्यों और अन्य अनुसंधान विद्वानों के साथ करीबी बातचीत की, जिन्होंने उन्हें विज्ञान, प्रौद्योगिकी और इंजीनियरिंग एवं गणित (एसटीईएम) में करियर की संभावनाएं के बारे में मार्गदर्शन दिया। मौका था विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग (डीएसटी) की विज्ञान ज्योति योजना के तहत आईआईटी (आईएसएम) के गोल्डन जुबली लेक्चर थिएटर (जीजेएलटी) में आयोजित एक दिवसीय कार्यक्रम का, जिसका उद्देश्य विज्ञान, प्रौद्योगिकी के विभिन्न क्षेत्रों में महिलाओं के कम प्रतिनिधित्व में सुधार करना था।
इस दिन तीन अलग-अलग मुख्य भाषण भी दिए गए जिसमें प्रोफेसर आलोक दास, डीन इनोवेशन इनक्यूबेशन एंड एंटरप्रेन्योरशिप (आईआईई) द्वारा; प्रोफेसर पार्थसारथी दत्ता, विभागाध्यक्ष, रसायन विज्ञान और रासायनिक जीव विज्ञान और गणित और कंप्यूटिंग विभाग के प्रोफेसर संजीव साहू मुख्य रूप से शामिल थे. कार्यक्रम के दौरान बीटेक छात्रा सुश्री सान्या द्वारा एक प्रेरक वार्ता भी आयोजित की गई।

मुख्य अतिथि के रूप में उद्घाटन समारोह के दौरान बोलते हुए, प्रोफेसर धीरज कुमार, उप निदेशक आईआईटी (आईएसएम) ने कहा, “न केवल महिला भागीदारी, बल्कि एसटीईएम में पुरुष भागीदारी भी दुनिया के अन्य देशों जैसे अमेरिका, चीन, जर्मनी,, स्विट्जरलैंड, ऑस्ट्रेलिया आदि की तुलना में हम कहीं नहीं है।”।
प्रोफेसर कुमार ने कहा, “वास्तव में सभी विकसित देशों में एसटीईएम शिक्षा का योगदान अधिक है, जैसे अमेरिका में एसटीईएम शिक्षा का योगदान लगभग 65% है और यह साबित करता है कि वे एसटीईएम शिक्षा पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं।”
प्रोफेसर कुमार ने आगे कहा, “एसटीईएम को सबसे महत्वपूर्ण घटक के रूप में शामिल करते हुए शिक्षा पर ध्यान केंद्रित करके हम 2024 तक विकसित देश बन सकते हैं।”

बाद में उन्होंने आने वाले छात्रों से एसटीईएम शिक्षा के बारे में जानने के लिए परिसर में अपने प्रवास का सर्वोत्तम उपयोग करने की अपील की।
रसायन विज्ञान एवं रसायन जीवविज्ञान विभाग के प्रमुख प्रो. पार्थसारथी दास ने अपने संबोधन में कहा, “जब एक लड़की शिक्षित होती है तो पूरा परिवार धीरे-धीरे प्रगति करता है और राष्ट्र भी तेज गति से विकसित होता है।”

आईआईटी (आईएसएम) के संकाय प्रभारी (प्रायोजित अनुसंधान एवं औद्योगिक परामर्श) प्रो. एजाज अहमद ने अतिथि छात्रों को संबोधित करते हुए कहा, “शिक्षा का अंतिम उद्देश्य समाज में मान्यता प्राप्त करना है और एसटीईएम शिक्षा का सबसे अच्छा हिस्सा यह है कि जब कोई एसटीईएम अपनाता है तो मान्यता अधिकांश सरकार के फंडिंग के माध्यम से मिलती है।”
आईआईटी (आईएसएम) में विज्ञान ज्योति कार्यक्रम की नोडल अधिकारी प्रोफेसर मधुलिका गुप्ता ने आगंतुक छात्रों और संकाय सदस्यों को संबोधित करते हुए कहा कि विज्ञान, प्रौद्योगिकी, इंजीनियरिंग और गणित (एसटीईएम) में महिलाओं के कम प्रतिनिधित्व को ठीक करने के लिए, डीएसटी ने विज्ञान ज्योति का अनूठा कार्यक्रम शुरू किया है
NEWS ANP के लिए कुंवर अभिषेक सिंह की रिपोर्ट..