
नई दिल्ली (NEW DELHI)यूपीएससी ने शुक्रवार को फर्जी पहचान के जरिये सिविल सेवा परीक्षा में शामिल होने के आरोप में ट्रेनी आइएएस अधिकारी पूजा खेडकर के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करायी. पुलिस ने भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस), सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम और दिव्यांगता संबंधी कानून के प्रासंगिक प्रावधानों के तहत मामला दर्ज किया है. सिविल सेवा परीक्षा-2022 के लिए उनकी उम्मीदवारी क्यों नहीं रद्द की जाये, आयोग ने इसके लिए पूजा को शोकॉज भी जारी किया. दिल्ली पुलिस की अपराध शाखा मामले की जांच कर रही है. आयोग ने कहा कि यूपीएससी ने सिविल सेवा परीक्षा- 2022 के लिए चयनित उम्मीदवार पूजा मनोरमा दिलीप खेडकर के संबंध में विस्तृत और गहन जांच की है.

जांच से पता चला है कि खेडकर ने अपना नाम, अपने माता-पिता का नाम, अपनी तस्वीर व हस्ताक्षर, अपनी ई-मेल आइडी, मोबाइल नंबर और पता बदलकर पहचान छिपायी और परीक्षा नियमों के तहत तय सीमा से अधिक प्रयासों का लाभ उठाया. आयोग ने कहा कि वह अपने संवैधानिक दायित्वों को पूरा करने में सख्ती से मानदंडों का पालन करता है. पूजा खेडकर सिविल सेवा परीक्षा के समय दिये गये दिव्यांगता और ओबीसी प्रमाण पत्र को लेकर सवालों के घेरे में हैं. इस मामले की जांच को लेकर केंद्र ने 11 जुलाई को एक सदस्यीय जांच समिति का गठन किया था.

यूपीएससी के रिकॉर्ड के अनुसार, खेडकर को दिव्यांग व्यक्ति के रूप में ओबीसी श्रेणी के तहत सिविल सेवा परीक्षा 2022 में 821वीं रैंक मिली थी. दिव्यांगजन अधिकार अधिनियम, 2016 के तहत सरकारी भर्ती विभाग में कुल सीट में से कम-से-कम 4% सीट आरक्षित करने का प्रावधान है. वहीं, ओबीसी (गैर-क्रीमी लेयर) के साथ ही एक से अधिक दिव्यांगता वाले उम्मीदवारों को आयु में छूट और यूपीएससी द्वारा आयोजित सिविल सेवा परीक्षा में केवल उनके लिए रिक्तियों को चिह्नित करने जैसे लाभ मिलते हैं.

नागपुर में बोलीं पूजा खेडकर-जल्द लौटूंगी
इस बीच, खेडकर ने वाशिम में सरकारी विश्राम गृह के बाहर एकत्र संवाददाताओं से कहा कि न्यायपालिका अपना काम करेगी. निजी कार में सवार होकर नागपुर रवाना होने से पहले उन्होंने पत्रकारों से कहा कि मैं जल्द लौटूंगी. खेडकर के खिलाफ आपराधिक मुकदमा की कार्रवाई शुरू की गयी है.
पूजा के पिता को गिरफ्तारी से राहत
पुणे की एक अदालत ने पूजा खेडकर के पिता दिलीप खेडकर को 25 जुलाई तक गिरफ्तारी से अंतरिम संरक्षण प्रदान किया है. यह संरक्षण भूमि विवाद से जुड़े एक मामले को लेकर है. वहीं, मनोरमा खेडकर को 20 जुलाई तक पुलिस हिरासत में भेज दिया गया हैं…

UPSC की चयन प्रक्रिया पर उठ रहा है सवाल.. ओबीसी और दिव्यांगता दोनो का लाभ लेने के लिए किया पूजा ने किया फर्जीवाड़ा
किसी मॉडल अभिनेत्री की तरह दिखने वाली पूजा खेडकर के आईएस में चयन ने यूपीएससी की चयन प्रक्रिया की खामियों को सार्वजनिक कर दिया है। देश की सर्वोच्च प्रशासनिक सेवाओं की चयन प्रक्रिया पर पहले भी सवाल उठते रहे हैं। लेकिन पूजा खेड़कर प्रकरण ने यह उजागर कर दिया की यूपीएससी सर्वोत्तम व्यक्तियों का चयन नहीं कर रही। पूजा खेडकर ने अपनी मूर्खता और उलजलूल हरकतों से अपनी कुर्सी गवाई है। अगर वह चुपचाप, सामान्य तरीके से बिना किसी विवाद में आए काम करती तो उसका फर्जीवाड़ा पकड़ा नहीं जाता । और अकूत संपत्ति कमाकर वह रिटायर भी हो जाती। किसी को पता भी नहीं चलता। लेकिन जालसाजी से मिली सफलता को वह पचा नहीं पाई।

जो जानकारी सामने आई है उसके मुताबिक पूजा को मात्र 7 फीसदी विकलांगता है जबकि सरकारी नौकरी में 40 प्रतिशत विकलांगता पर आरक्षण का लाभ मिलता है। पूजा ने फर्जी दस्तावेज देकर विकलांगता का जाली प्रमाणपत्र बनवाया। आखिर यह कैसे संभव हुआ? नियुक्ति के समय यह पकड़ में क्यों नहीं आया? उसके परिवार के बैक ग्राउंड, चाल चलन की जांच में उसका सच कैसे सामने नहीं आया? कैसे क्लीन चिट मिल गई? ये तमाम ऐसे सवाल हैं जो यूपीएससी को संदेह के घेरे में लाते हैं।

यह तो संयोग है की पूजा का सच उजागर हो गया, ऐसी न जाने कितनी अन्य पूजाएं होंगी जो फर्जी दस्तावेज पर नौकरी कर रही होंगी। उनका सच कैसे सामने आएगा?
मनोवैज्ञानिक बातचीत कर व्यक्ति के मन को समझ लेते हैं। अभ्यर्थियों के मन में क्या है, इसे यूपीएससी इंटरव्यू बोर्ड के एक्सपर्ट क्यों नहीं पकड़ पाते? नए नवेले अफसर भी भ्रष्टाचार में लिप्त हो जा रहे हैं तो यह क्यों न माना जाए की नियुक्ति प्रक्रिया दोषपूर्ण है?
सरकार को नियुक्ति प्रक्रिया को और अधिक वैज्ञानिक बनाने की जरूरत है ताकि अब किसी दूसरी पूजा खेडकर का चयन यूपीएससी जैसी सर्वोच्च सेवाओं में न हो।
NEWS ANP के लिए नई दिल्ली ब्यूरो के साथ कुंवर अभिषेक सिंह की रिपोर्ट…