शिवचरण मांझी से कैसे बने दिशोम गुरु शिबू सोरेन..?

शिवचरण मांझी से कैसे बने दिशोम गुरु शिबू सोरेन..?

धनबाद(DHANBAD) धनबाद से 30 किलोमीटर दूर टुंडी के मनियाडीह थाना के पास एक पोखरिया आश्रम है…, बात सन् १९७३ की है जब रामगढ़ हजारीबाग(रामगढ़)जिले के नेवरा गांव के एक साधारण गरीब आदिवासी परिवार में जन्मे 24 वर्षीय युवक शिवचरण मांझी अपने गांव को छोड़कर टुंडी के NAXAL प्रभावित गांव में शरण लेता है…फिर श्यामलाल मुर्मू से मिलकर यहीं से अपनी आंदोलन की शुरुआत करते है। उस जमाने में आदिवासी समाज के लोगों को कुछ पूंजीपतियों द्वारा लगातार शोषण किया जाता था जिसका मात्र एक कारण था कि लोगों में शिक्षा का घोर अभाव ,जिसके कारण समाज के लोगों को पूंजीपतियों द्वारा कर्ज देने पर उनकी जमीनों को जबरन कब्जा करना या फिर उसे अपने नाम से लिखवा लिया जाता था। इसकी जानकारी मिलते ही शिवचरण मांझी समाज के उत्थान के लिए क्षेत्र में घूम घूम कर बैठकर नशामुक्त जीवन यापन के लिए जागरूक किए और इस अभियान में बहुत हद तक सफल हुए। जिसके बाद से उन्होंने झारखंड राज्य आंदोलन के लिए पोखरिया आश्रम का निर्माण किया..आज .जब गुरु जी बीमार है तो लोग उनके ठीक होने के लिए ईश्वर से प्रार्थना कर रहें है…उन्होंने कैसे झारखण्ड आंदोलन नेतृत्व,JMM का निर्माण और CM से लेकर कोयला मंत्री तक बने ,ये किसी किवदंती से कम नहीं…जंगल से निकालकर पार्टी को शिखर तक पहुँचाया…देखिये NEWS संपादक कुंवर अभिषेक की विशेष रिपोर्ट …

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