गिरिडीह(GIRIDIH): लोकसभा चुनाव के मतदान की तारीख करीब आ रही है. जयराम महतो जगह -जगह चुनावी चौपाल लागए हुए है और विपक्षी नेताओं पर तोहमत और फजीहत के बाण जमकर छोड़ रहें हैं.
उन्होंने एक चुनावी सभा में अपनी बात रखते हुए ये भी बोला कि अगर वो जीत के आयेंगे तो गांवों के विकास पर उनकी नजर होगी और वही उनकी चौपाल लगेगी, क्योंकि, वो एक साधारण गांव के लड़के है और गांवों की हालत और दर्द समझते है. वो उन नेताओं की तरह नहीं हैं, जो वायदों की जमीन पर बड़ी -बड़ी बाते करें और वोट बटोरकर चलते बने.
उनका मकसद उस आवाम की तकदीर सवारनी हैं और उनकी जिन्दगी बदलनी है, जिसकी ख्वाहिश लिए दशकों गुज़र गए. लेकिन, आज भी बुनियादी जरूरतों के लिए संघर्ष और तरस रहें हैं.दरअसल, इनलोगों के खातिर ही वह अपने जीवन के इस पहले चुनावी इम्तिहान को जीतना चाहते है.
इतना ही नहीं उन्होंने ये भी कहा कि जमा पूंजी के नाम पर कुछ नहीं, यहां तक एक साइकिल भी नहीं है. वो मेरे चुनावी हालफनामे में इसकी तस्दीक कर सकते हैं. उनकी इन बातों से आम आवाम मोहित दिखता हैं और उनके पक्ष में नारे लगाता है.
सवाल है कि क्या जयराम गिरिडीह का चुनावी रण जीत पाएंगे, जब उनके सामने जेएमएम और बीजेपी खड़ी है. तो इसका जवाब तो यही है कि जनता तय करेगी और वही फैसला देगी. लेकिन, एक बात तो साफ है कि गिरिडीह के इस मैदान में जयराम ने मुकाबले को रोचक और त्रिकोणीए बना दिया है.
जहां एक युवा चुनावी बिसात पर खड़ा है और जिसके सामने एक तजुर्बेकार सियासतदान खड़े है.
अगर जमीनी हकीकत देखा जाए तो आदिवासी -मूलवासी की राजनीति करने वाले जयराम के वोटर्स भी कहीं न कहीं झारखण्ड मुक्ति मोर्चा के ही वोटर्स है, जिससे जेएमएम के वोट खिसकने की संभावना है. इससे फायदा आजसू को मिलने के आसार है. दूसरी बात समझने वाली ये है कि गिरिडीह का आवाम राष्ट्रीय मुद्दों पर भी वोट करता आया है.
ऐसी सूरत में बीजेपी से गठबंधन के तहत उतरे आजसू उम्मीदवार चंद्र प्रकाश चौधरी को फायदा मिलेगा. हालंकि ये भी तय है कि जयराम उनकी पार्टी के भी वोट काटेंगे, लेकिन उतना नहीं. दूसरी तरफ जेएमएम उम्मीदवार मथुरा महतो का अपना वोट बैंक है और गिरिडीह में टक्कर बीजेपी को देते रही है. दिवंगत जगरनाथ महतो ने बीजेपी और आजसू को टक्कर देते आए थे.जेएमएम के टेकलाल महतो और विनोद बिहारी महतो यहां से जीतकर सांसद बने है.
हालांकि इसबार, जेएमएम के जीत की संभावना तब ही बन सकती है, जब जयराम उनके वोट बैंक में सैंधमारी न करें इसके साथ ही और भी उनको जोर लगाना होगा.क्योंकि यहां पीएम नरेंद्र मोदी का फैक्टर और ब्रांड भी काम करेगा. लिहाजा गिरिडीह में तीर -धनुष का झंडा लहराने के लिए मशशकत करनी पड़ेगी.
गिरिडीह में मुकाबला तो त्रिकोणीए होगा. इसमे शक तो नहीं है. इसबार कौन जीतेगा और कौन हारेगा और इस चुनावी समर में किसका पलड़ा भारी है. ये तो 4 जून का चुनाव परिणाम बताएगा. लेकिन, ये भी सच है कि जयराम के उतरने से जेएमएम और आजसू की धड़कने तो बढ़ गई है.
NEWS ANP के लिए कुंवर अभिषेक सिंह की रिपोर्ट..
