पटना (PATNA)हिंदू विवाह अधिनियम एक पत्नी के जीवित रहते हुए दूसरी शादी की इजाजत नहीं देता है और इसे गैरकानूनी मानता है. इस स्थिति में अगर कोई व्यक्ति पत्नी के जीवित रहते किसी दूसरी स्त्री के साथ संबंध बनाता है, तो उस स्त्री को कानूनन ना तो पत्नी का दर्जा मिलेगा और ना ही वह उस व्यक्ति की संपत्ति में किसी भी तरह की हिस्सेदारी मांग सकती है,
पटना हाईकोर्ट ने हाल ही में एक अहम फैसला सुनाया है और एक व्यक्ति के पेंशन पर किसका हक होगा इसे परिभाषित किया है. कोर्ट ने फैमिली पेंशन पर पत्नी का अधिकार एक बार फिर सुनिश्चित किया है. न्यायाधीश हरीश कुमार की एकलपीठ ने दूसरी पत्नी द्वारा पेंशन की मांग को लेकर दायर याचिका को खारिज करते हुए यह आदेश दिया है. हिंदू विवाह अधिनियम, 1955 के अनुसार अगर कोई व्यक्ति अपनी पत्नी के जीवित रहते दूसरी शादी करता है, तो उस महिला को पत्नी का कोई अधिकार प्राप्त नहीं होगा और उसे संपत्ति पर वैसे कोई अधिकार प्राप्त नहीं होंगे जो एक पत्नी के होते हैं.
हिंदू विवाह अधिनियम, 1955 कैसे परिभाषित करता है पत्नी को?
हिंदू विवाह अधिनियम 1955 के अनुसार रीति-रिवाजों के साथ पूरी की गई शादी एक महिला को पत्नी का दर्जा देती है. विवाह में सप्तपदी का होना अनिवार्य है. साथ ही वर-वधू की आयु 21 और 18 वर्ष होनी चाहिए. किसी स्त्री को पत्नी का दर्जा तभी मिल सकता है, जब वर पहले से विवाहित ना हो.
पति की संपत्ति पर क्या हैं पत्नी के अधिकार..
समाज में कई बार इस तरह के मामले सामने आते हैं, जब एक व्यक्ति की मौत के बाद उसकी संपत्ति पर विवाद खड़ा हो जाता है. अधिवक्ता अवनीश रंजन मिश्रा बताते हैं कि हिंदू लाॅ के अनुसार दूसरी शादी वैध नहीं है और अगर कानून के समक्ष यह साबित हो जाए कि कोई महिला दूसरी पत्नी है, तो उसे वो कोई अधिकार प्राप्त नहीं होंगे जो एक पत्नी को होते हैं. लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने यह भी माना है कि अगर कोई व्यक्ति अपनी पत्नी के रहते दूसरी महिला के साथ रहता है और उसके बच्चे भी होते हैं, तो उन बच्चों को वही अधिकार प्राप्त होंगे जो उसकी पहली पत्नी के बच्चों को प्राप्त होंगे. सुप्रीम कोर्ट ने यह माना था कि दूसरी महिला से संबंध गैरकानूनी हो सकते हैं लेकिन उस संबंध से उत्पन्न बच्चे गैरकानूनी नहीं होंगे.
अवनीश रंजन मिश्रा बताते हैं कि अगर कोई व्यक्ति सरकारी नौकरी में हो और उसकी मौत हो जाए, तो उसकी दूसरी पत्नी ना तो अनुकंपा के आधार पर नौकरी की हकदार होगी और ना ही उसे फैमिली पेंशन मिलेगा. लेकिन अगर उसके बच्चे होंगे तो उन्हें हक मिलेगा. लेकिन यहां गौर करने वाली बात यह है कि अगर संतान लड़की है तो उसे विवाह के पहले तक और लड़के को बालिग होने तक पेंशन का हक मिलेगा.
दूसरी पत्नी को कब मिल सकता है कानूनी हक..
हिंदू विवाह अधिनियम के अनुसार अगर कोई व्यक्ति तब दूसरी शादी करता है, जब उसकी पहली पत्नी की मौत हो गई हो तो उस स्थिति में दोनों शादियों की तारीख और पहली पत्नी की मृत्यु की तारीख का मिलान करके दूसरी पत्नी को वो सब अधिकार दिए जा सकते हैं. इस परिस्थिति में दूसरी पत्नी को पेंशन पर भी अधिकार मिलेगा और अन्य संपत्तियों पर भी.
यही स्थिति तलाक के मामले में भी बनती है, अगर कोई व्यक्ति पहली पत्नी से तलाक लेकर दूसरी शादी करता है, तो उसकी दूसरी पत्नी को वो सब अधिकार मिलेंगे ,जो एक पत्नी को मिलते हैं.
NEWS ANP के लिए पटना से एस आलम के साथ कुंवर अभिषेक सिंह की रिपोर्ट
अच्छी जानकारी देने के लिए आपलोगों को बहुत बहुत धन्यवाद। हालांकि मेरा अभी तक दूसरी पत्नी वाला कोई चक्कर नहीं है। लेकिन यह अच्छी खबर है।