नवरात्रि के दिनो में देवी पूजा के लिए महाअष्टमी तिथि बेहद शुभ और मंगलदायी मानी गई है क्योंकि इस दिन देवी भगवती के आठवें स्वरूप यानि मां महागौरी की पूजा होती है. हिंदू मान्यता के अनुसार माता का यह दिव्य स्वरूप अत्यंत ही तेजवान है और इनकी पूजा सबसे जल्दी फलदायी होती है. मां महागौरी भगवान महादेवी की अर्धांगिनी के रूप में भी पूजी जाती है. मान्यता है कि जो कोई साधक मां महागौरी की पूजा सच्चे मन से करता है, उस पर देवी प्रसन्न होकर अपनी कृपा लुटाती हैं. देवी के साधक को सभी प्रकार की सिद्धि प्राप्त होती है. आइए नवरात्रि की अष्टमी तिथि पर मां महागौरी की पूजाा की विधि और मंत्र आदि के बारे में जानते हैं.
कैसा है मां महागौरी का स्वरूप
हिंदू मान्यता के अनुसार नवरात्रि की आठवें दिन की देवी महागौरी की चार भुजाएं हैं, जिनमें से दो भुजाएं आशीर्वाद मुद्रा में तो दो भुजाओं में उन्होंने शस्त्र थामे हुए हैं. देवी का रंग सफेद है, जो देखने में काफी आकर्षण और तेजवान लगता है. सफेद रंग के वस्त्र को धारण करने वाली मां महागौरी वृषभ की सवारी करती हैं.
मां महागौरी की पूजन विधि
नवरात्रि के आठवें दिन देवी दुर्गा के साधक को सूर्योदय से पहले उठकर स्नान-ध्यान करना चाहिए. इसके बाद साधक को मां महागौरी के व्रत और पूजन का संकल्प करना चाहिए. फिर घर के ईशान कोण में देवी का चित्र या मूर्ति रखकर उसे पवित्र जल से स्नान कराना चाहिए. इसके बाद माता को सफेद पुष्प अर्पित करना चाहिए. फिर देवी को धूप-दीप, चंदल-रोली, फल-मिठाई आदि अर्पित करते हुए माता के मंत्र का जप और उनके स्तोत्र का पाठ करना चाहिए.
प्रार्थना मंत्र
श्वेते वृषे समरूढा श्वेताम्बराधरा शुचिः.
महागौरी शुभं दद्यान्महादेव प्रमोददा.
देवी सर्वभूतेषु मां गौरी रूपेण संस्थिता.
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:.
स्तुति मंत्र
या देवी सर्वभूतेषु मां गौरी रूपेण संस्थिता.
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:.
जप मंत्र
ॐ देवी महागौर्यै नमः.
ॐ ऐं ह्रीं क्लीं महागौर्ये नम:.
मां महागौरी की पूजा का उपाय
हिंदू मान्यता के अनुसार नवरात्रि के आठवें दिन की देवी मां महागौरी की पूजा में जो भक्त उनकी प्रिय चीजें चढ़ाता है, उसकी सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं. देवी महागौरी को प्रसन्न करने के लिए इस दिन साधक को माता की पूजा में सफेद फूल जैसे रात की रानी का पुष्प आदि चढ़ाना चाहिए. इसी प्रकार माता के प्रिय भोग में भी नारियल चढ़ाकर देवी का आशीर्वाद मांगना चाहिए. मान्यता है कि मां महागौरी को नारियल और नारियल से बना भोग प्रसाद बहुत प्रिय है. यदि आप चाहें तो अष्टमी के दिन मां महागौरी को खीर भी बनाकर खिला सकते हैं.
मां महागौरी का स्वरूप
तांत्रिक आचार्य लक्ष्मण चौबे मां के स्वरूप के बारे में कहते हैं की उनकी चार भुजाएं हैं। इनका वाहन वृषभ है। मां का ऊपर का दाहिना हाथ अभय मुद्रा जबकि नीचे वाले दाहिने हाथ में त्रिशूल धारण की हुई हैं। बाएं हाथ में डमरू और नीचे का बांया हाथ वर मुद्रा है।
अष्टमी 2025 कब है?
पंचांग के अनुसार, इस बार अष्टमी तिथि 29 सितंबर 2025, सोमवार को दोपहर 4 बजकर 31 मिनट से शुरू होगी और इसका समापन 30 सितंबर, मंगलवार को शाम 6 बजकर 6 मिनट पर होगा. इस प्रकार इस वर्ष महाअष्टमी 30 सितंबर 2025 को मनाई जाएगी.
अभिजीत मुहूर्त: सुबह 11 बजकर 47 मिनट से दोपहर 12 बजकर 35 मिनट तक रहेगा.
मां महागौरी की कथा
हिंदू मान्यता के अनुसार जब देवी सती भगवान शिव को अपने पति के रूप में पाने के लिए कठिन तप कर रही थीं तो उनके पूरे शरीर पर मिट्टी जमा हो गई थी. इसके बाद जब महादेव ने उन्हें प्रसन्न होकर अपनी पत्नी के रूप में स्वीकार करने का आशीर्वाद दिया तो देवी ने गंगाजल में स्नान किया और उसके बाद उनका स्वरूप अत्यंत ही तेजवान दिखने लगा. माता के उस गौर वर्ण रूप को देखकर महादेव ने उन्हें महागौरी कहा. तब से भक्तगण आज तक उन्हें महागौरी के नाम से पूजते हैं.
कन्या पूजन जरूर करें
महाष्टमी के दिन कन्या पूजन करना शुभ माना जाता है।कन्याओं को प्रेमपूर्वक भोजन कराने से मां महागौरी की कृपा प्राप्त होती है।
मां महागौरी की आरती
जय महागौरी जगत की माया.
जया उमा भवानी जय महामाया..
हरिद्वार कनखल के पासा.
महागौरी तेरा वहां निवासा..
चंद्रकली और ममता अंबे.
जय शक्ति जय जय मां जगदंबे..
भीमा देवी विमला माता.
कौशिकी देवी जग विख्याता..
हिमाचल के घर गौरी रूप तेरा.
महाकाली दुर्गा है स्वरूप तेरा..
सती ‘सत’ हवन कुंड में था जलाया.
उसी धुएं ने रूप काली बनाया..
बना धर्म सिंह जो सवारी में आया.
तो शंकर ने त्रिशूल अपना दिखाया..
तभी मां ने महागौरी नाम पाया.
शरण आनेवाले का संकट मिटाया..
शनिवार को तेरी पूजा जो करता.
मां बिगड़ा हुआ काम उसका सुधरता..
भक्त बोलो तो सोच तुम क्या रहे हो.
महागौरी मां तेरी हरदम ही जय हो..
NEWSANP के लिए रागिनी पांडेय की रिपोर्ट

