SHARDIYE NAVRATRI 2025: नवरात्रि के पांचवे दिन होती है मां स्कंदमाता की आराधना.. जानें पूजा विधि, मंत्र और प्रिय भोग…

SHARDIYE NAVRATRI 2025: नवरात्रि के पांचवे दिन होती है मां स्कंदमाता की आराधना.. जानें पूजा विधि, मंत्र और प्रिय भोग…

देवी दुर्गा का यह रूप करुणा और ममता से भरपूर है. मां अपने पुत्र कार्तिकेय को गोद में लेकर भक्तों को आशीर्वाद देती हैं. ऐसा माना जाता है कि स्कंदमाता की भक्ति से जीवन में सुख, शांति और समृद्धि का आगमन होता है. इनका रंग शुद्ध सफेद है और ये कमल के आसन पर बैठी होती हैं, इसलिए इन्हें पद्मासना भी कहा जाता है. स्कंदमाता की चार भुजाएं हैं—एक हाथ में पुत्र स्कंद, दो हाथों में कमल पुष्प और चौथा हाथ सदैव भक्तों को आशीर्वाद देने की मुद्रा में रहता है. माना जाता है कि स्कंदमाता अपने भक्तों को वैसे ही स्नेह और सुरक्षा देती हैं जैसे एक मां अपने बच्चों को देती है. आइए अब जानते हैं स्कंदमाता के प्रिय मंत्र, पूजा मुहूर्त, भोग के बारे में.

माता के प्रिये भोग
स्कंदमाता को पीले रंग के भोज्य पदार्थों का भोग लगाया जाता है. स्कंदमाता को पीला रंग अतिप्रिय है. आप नवरात्रि के पांचवें दिन स्कंदमाता को पीली मिठाई, केसर वाली खीर, केला, हलवा आदि भोग के रूप में अर्पित करना चाहिए.

पंचमी 2025 की तिथि और शुभ मुहूर्त

द्रिक पंचांग के अनुसार, शारदीय नवरात्र 2025 के दौरान पंचमी तिथि 26 सितंबर को सुबह 9 बजकर 34 मिनट से लेकर 27 सितंबर को दोपहर 12 बजकर 05 मिनट तक रहेगी. ऐसे में स्कंदमाता की पूजा 27 सितंबर को होगी.

पूजा शुभ मुहूर्त

नवरात्र के पांचवें दिन 27 सितंबर को ब्रह्म मुहूर्त सुबह 4 बजकर 36 मिनट से 5 बजकर 24 मिनट तक रहने वाला है. इस दिन प्रात:कालीन संध्या सुबह 5 बजे से 6 बजकर 12 मिनट तक है. इसके अलावा अभिजीत मुहूर्त दोपहर 11 बजकर 48 मिनट से 12 बजकर 36 मिनट तक रहेगा. इस दिन संध्या पूजा मुहूर्त शाम 6 बजकर 30 मिनट से 7 बजकर 42 मिनट तक रहेगा. माना जाता है कि इन समय पर पूजा करने से भक्तों को विशेष लाभ प्राप्त होता है.

मां स्कंदमाता की पूजा विधि
सुबह उठकर स्नानादि कर स्वच्छ वस्त्र पहन लें. इसके बाद आसन पर बैठ जाएं. उसके बाद चौकी पर स्कंदमाता की प्रतिमा या फोटो स्थापित करें. फिर मां की प्रतिमा या चित्र को गंगा जल शुद्धिकरण करें. जल भरकर कलश चौकी पर रखें. उसी चौकी पर भगवान श्रीगणेश, वरुण, नवग्रह, षोडश मातृका, सप्त घृत मातृका यानी सात सिंदूर की बिंदी लगाते हुए उनकी स्थापना भी कर लें. इसके बाद व्रत, पूजन का संकल्प लें. फिर मंत्रों द्वारा स्कंदमाता सहित समस्त स्थापित देवताओं की षोडशोपचार पूजा करें. मां को अक्षत, लाल चंदन, चुनरी और लाल पीले फूल चढ़ाएं, इसके बाद दुर्गा सप्तशती का पाठ करें. साथ ही दुर्गा चालीसा भी पढ़ें. उसके बाद मां का पसंदीदा भोग लगाएं. उन्हें पान, सुपारी, लौंग अर्पित करें. मां के मंत्रों का जाप करें और आरती करें.

माता स्कंदमाता मंत्र
ॐ देवी स्कन्दमातायै नमः
सिंहासनगता नित्यं पद्माञ्चित करद्वया। शुभदास्तु सदा देवी स्कन्दमाता यशस्विनी।

या देवी सर्वभूतेषु मां स्कन्दमाता रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।

दे वाञ्छित कामार्थे चन्द्रार्धकृतशेखराम्। सिंहरूढ़ा चतुर्भुजा स्कन्दमाता यशस्विनीम्।

माता स्कंदमाता की आरती
जय तेरी हो स्कंद माता।
पांचवां नाम तुम्हारा आता॥

सब के मन की जानन हारी।
जग जननी सब की महतारी॥

तेरी ज्योत जलाता रहूं मैं।
हरदम तुम्हें ध्याता रहूं मैं॥

कई नामों से तुझे पुकारा।
मुझे एक है तेरा सहारा॥

कहीं पहाड़ों पर है डेरा।
कई शहरो मैं तेरा बसेरा॥

हर मंदिर में तेरे नजारे।
गुण गाए तेरे भगत प्यारे॥

भक्ति अपनी मुझे दिला दो।
शक्ति मेरी बिगड़ी बना दो॥

इंद्र आदि देवता मिल सारे।
करे पुकार तुम्हारे द्वारे॥

दुष्ट दैत्य जब चढ़ कर आए।
तुम ही खंडा हाथ उठाए॥

दास को सदा बचाने आई।
‘चमन’ की आस पुराने आई॥

NEWSANP के लिए धनबाद से रागिनी पांडेय की रिपोर्ट

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