पश्चिम बंगाल का नाम बदलने की मांग के बाद गंगासागर मेले को राष्ट्रीय मेले का दर्जा देने का किया था मांग..

कोलकाता(KOLKATA): लोकसभा चुनाव से पहले एक तरफ जहाँ भाजपा ने अयोध्या मे बने श्री राम मंदिर के उद्घाटन समारोह की हो रही जोरों सोर से तैयारियों को लेकर देश के तमाम हिंदू समाज का ध्यान अपनी ओर खींचने का काम किया है

तो वहीं दूसरी ओर पश्चिम बंगाल मे राज्य की मुख्यमंत्री ममता बैनर्जी ने पहले गंगासागर मेले को राष्ट्रीय मेला घोषित करने की मांग के बाद अब ममता ने बांगला भाषा को शास्त्रीय भाषा के रूप में मान्यता देने की मांग कर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को एक पत्र लिखकर केंद्र सरकार पर दबाव बनाना शुरू कर दिया है,

यूँ कहें तो ममता ने राज्य के हिंदी के साथ -साथ बांगला भासियों को भी अपने पाले मे लेने के लिये लोकसभा चुनाव से पहले एक बड़ा दांव खेल दिया है, जो दांव भाजपा के सोंच से परे माना जा रहा है, वह इस लिये की गंगासागर मेले मे हर वर्ष लाखों की संख्या मे श्रद्धालु गंगा स्नान के लिये जुटते हैं,

ऐसे मे ममता सरकार ने गंगासागर मेले मे श्रद्धालुओं की सुविधा के लिये कई तरह की वेवस्थाएं की है, साथ मे इलाके का विकाश भी जिससे श्रद्धालुओं को गंगा स्नान करने के लिये आने जाने मे किसी तरह की कोई समस्या नही होती और ना ही रहने या खाने पिने की ऐसे मे उन्होने मेले के और भी विकाश के लिये केंद्रीय फंड की भी मांग की थी,

ममता का यह प्रयास बंगाल ही नही बल्कि अन्य राज्यों से गंगा स्नान के लिये आने वाले श्रद्धालुओं को काफी लुभाने मे काम भी आया है, जो लोकसभा चुनाव से पहले भाजपा द्वारा खेले गए हिन्दुत्त्व कार्ड पर शायद भारी भी पड़ सकता है, हम बताते चलें की ममता सरकार द्वारा बांगल भाषा को शास्त्रीय भाषा के रूप मे मान्यता देने की मांग पिछले कई वर्षों से करते आई हैं, इसके अलावा पश्चिम बंगाल का नाम बदल कर बांग्ला करने की मांग भी वह कर चुकी हैं,

ममता की इस मांग मे अब गंगासागर मेले को राष्ट्रीय मेला घोषित करने की मांग भी शामिल हो गई है, माना जा रहा है की ममता बीजेपी के हिंदुत्व का मुकाबला करने के लिए हिंदू बंगाली का सॉफ्ट कार्ड खेल दिया है, ममता की अगर माने तो बांग्ला सबसे पुरानी और समृद्ध भाषाओं में से एक है,

जिसका प्रमाण कला, संस्कृति और साहित्य के विभिन्न रूपों में स्पष्ट है। उन्होने कहा अबतक छह भारतीय भाषाओं शास्त्रीय भाषा का दर्जा मिल चूका है जिसमे – संस्कृत, तमिल, मलयालम, तेलुगू, कन्नड़ और ओडिया को शास्त्रीय भाषा का दर्जा मिला हुआ है. तमिल पहली भारतीय भाषा थी, जिसे 2004 में दर्जा दिया गया था, जबकि ओडिया 2014 में दर्जा प्राप्त करने वाली नवीनतम भाषा थी.

उन्होने यह भी कहा की वह 2020 मे हिंदी दिवस के मौके पर बांग्ला भाषा को शास्त्रीय भाषा का दर्जा देने की मांग कर चुकी हैं जिसके बाद उन्होंने तमाम प्रमाण पत्रों के साथ वह अपनी मांग को सरकार से पूरा करवाने के लिये एक पत्र प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भेजा है, जिसमे उन्होने बांग्ला भाषा का जन्म और विकास ढाई हजार वर्षों का बताया है, उन्होने यह भी दावा किया की उनसे पहले जो लोग सत्ता में थे, उनमें से किसी ने भी बांग्ला भाषा की स्थिति के बारे में नहीं सोचा।

NEWS ANP के लिए प० बंगाल से अमरदेव की रिपोर्ट..

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