जयपुर(JAIPUR): त्योहार या खास आयोजनों के दौरान जब आम यात्री महीनों पहले टिकट बुक कराने के बावजूद वेटिंग लिस्ट में ही रह जाते हैं, तब हजारों सीटें वीआईपी/इमरजेंसी कोटे में बुक कर दी जाती हैं। अक्टूबर-दिसंबर 2024 के दौरान उत्तर पश्चिम रेलवे में 28,407 टिकटें वीआईपी/इमरजेंसी कोटे से जारी की गईं। अकेले नवंबर 2024 में ही 11,984 सीटें इस कोटे में चली गईं। आरटीआई एक्टिविस्ट चंद्रशेखर गौड़ द्वारा प्राप्त रेलवे बोर्ड के आंकड़ों के अनुसार, देशभर में 2021 से 2023 के बीच 1.8 करोड़ सीट वीआईपी/इमरजेंसी कोटे में बुक हुई। वहीं, इसी दौरान 4.3 करोड़ यात्री टिकट कंफर्म नहीं होने पर यात्रा नहीं कर पाए।
वीआईपी कोटे का रेट बढ़ाने की फाइल 12 साल से अटकीછ: 2013 में रेलवे मंत्रालय ने वीआईपी कोटे की सीटों पर तत्काल टिकट जितना चार्ज लेने का प्रस्ताव रखा था। 2016 में यह फाइल फिर चली लेकिन अटक गईष अगर यह शुल्क लागू होता तो अब तक रेलवे को 2700 करोड़ रुपए से अधिक की आमदनी हो सकती थी।
रेलवे का इमरजेंसी या वीआईपी कोटा क्या है?
कुल आरक्षित सीटों में 5.12% सीटें वीआईपी या इमरजेंसी कोटे के लिए आरक्षित होती हैं। इसमें हाई ऑफिशियल्स, सांसद, विधायक और अन्य वीआईपी को सीटें मिलती हैं। तत्काल टिकटों की तरह वीआईपी कोटे की बुकिंग होती है, लेकिन वीआईपी यात्रियों से कोई अतिरिक्त शुल्क नहीं लिया जाता। वहीं, आम यात्रियों को तत्काल और डायनेमिक किराए के नाम पर अधिक भुगतान करना पड़ता है। उदाहरण के लिए, अगर सामान्य टिकट का किराया 1800 रु. और तत्काल टिकट का किराया 2800 रु. है, तो वीआईपी यात्री को वही टिकट 1800 रु. में मिलती है जबकि आम यात्री को 1000 रु. अतिरिक्त देने पड़ते हैं।
NEWSANP के लिए जयपुर से ब्यूरो रिपोर्ट