दोनों एक ही लिंग के होते हुए भी एक दूसरे के साथ रहने में सहूलियत महसूस करते हैँ तो फिर समाज या न्यायपालिका या कानूनी ब्यवस्था को कोई ऐतराज नहीं होनी चाहिए:
धनबाद(SINDRI): अगर मनुष्य सामाजिक और पारिवारिक रिश्तों से दूर हो तो वो सफल हो सकता है लेकिन सुखी और शांत नहीं हो सकता। उसका मन हमेशा एक बेचैनी से भरा रहेगा। लेकिन, मानवीय रिश्तों का आधार धन, स्वार्थ, जरूरत या दिमाग नहीं हो सकता। रिश्तों का आधार हमेशा आपसी सम्मान और प्रेम होता है।ऐसे ही एक रिश्ते की बात अंग्रेजी उपन्यास “द विंग्ड रिंग्स” में की गई है..
उपन्यास की बात करने से पूर्व लेखिका एवं उनके पिता जो पूर्व धनबाद जिला सहायक श्रमायुक्त वार्ता हुई, लेखिका महज 13 वर्ष की और दिल्ली पब्लिक स्कूल घनबाद के वर्ग आठ की छात्रा है, पर वो अपने पिता, माता एवं दादा से ऐसे बॉन्डिंग में है कि अपने दिल एवं दिमाग की सभी अभिव्यक्ति की चर्चा परिचर्चा भी करती हैँ। पिता रंजीत कुमार अपने पुत्री की मनोदशा को समझते हुए उन्हें अपनी भावना को शब्दों में पिरोने की सलाह देते हैं, जिससे उनकी पुत्री सहर्ष स्वीकार कर अपनी भावना एवं मनोदशा को “द विंग्ड रिंग्स” उपन्यास के रूप में दुनिया के सम्मुख प्रस्तुत करती हैं। उपन्यास में दो बचपन के मित्र की है जिनमें आपसी सामंजस्य, सोच, भावना सब मिलती हैं। दोनों की दोस्ती एक जोड़े अंगूठी की वजह से शुरू होती है, पर एक अकस्मात दुर्घटना में एक के माता पिता की मृत्यु के कारण अलगाव आ जाता है। अलगाव के बाद भी बचपन की वो यादें दोनों के अंतरआत्मा में जीवंत रहते हैँ, जो नवजवान होने के बाद भी खत्म नहीं होता..
कहावत है कि नियति में जो लिखा होता है, वो हो कर रहता है और एक दिन फिर से दोनों मिलते हैँ एक समूह में, लेकिन दोनों एक दूसरे को पहचान नहीं पाते। धीरे – धीरे दोनों की भावनाएँ, सोच, पसंद मिलने से दोनों में पूर्ववत लगाव बढ़ने लगता है जो पुनः बचपन के रिंग देखने से याद ताजा हो जाती है एवं दोनों एक दूसरे से दो जिस्म एक जान की तरह मिल कर अपनी अपनी भावना ब्यक्त करते हैँ। उसके बाद दोनों एक दूसरे से कभी अलग ना हो पाएं उसके लिए सामाजिक बंधन अर्थात विवाह करने की सोचते हैँ, जिसमें उनके मित्रगण उसका साथ देते हैँ..
कहानी का निचोड़ दो लोगों के मानसिकता, भावना, पसंद आदि का मिलना को दर्शाता है एवं दोनों एक ही लिंग के होते हुए भी एक दूसरे के साथ रहने में सहूलियत महसूस करते हैँ तो फिर समाज या न्यायपालिका या कानूनी ब्यवस्था को कोई ऐतराज नहीं होनी चाहिए।लेखिका अनुष्का सिंह ने पुस्तक को अपने पिता रंजीत कुमार एवं दादा अमीर चंद सिंह को समर्पित किया है, जिससे पिता काफी अहल्लादित हैँ एवं बताया कि इस पुस्तक के दूसरे संस्करण की तैयारी भी अनुष्का ने शुरु कर दी है..
NEWS ANP के लिए सिंदरी से राज कुमार शर्मा के साथ प्रेम प्रकाश शर्मा की रिपोर्ट