धनबाद(DHANBAD): इस साल छठ पर्व की खरना पूजा 6 नवंबर को होगी। इस दिन व्रती पूरे दिन निर्जला उपवास रखते हैं। सूर्योदय से लेकर सूर्यास्त तक अन्न और जल कुछ भी ग्रहण नहीं करते हैं। शाम के समय चूल्हे पर आम की लकड़ी की सहायता से चावल और गुड़ की खीर बनाई जाती है। फिर स्नान के बाद गुड़ की खीर, घी चुपड़ी रोटी, फल, आदि चीजों से खरना पूजा की जाती है। इसके बाद व्रती इस प्रसाद को ग्रहण करके 36 घंटों का निर्जला व्रत शुरू करते हैं। चलिए जानते हैं खरना पूजा के नियम और विधि..
खरना पूजा कैसे किया जाता है
खरना के दिन व्रती सूर्योदय से पहले उठकर स्नानादि करते हैं.
इसके बाद भगवान सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है.
पूरे दिन निर्जला व्रत रखा जाता है.
फिर शाम के समय मिट्टी के चूल्हे पर पारंपरिक भोजन जैसे साठी के चावल, गुड़ और दूध की खीर, घी चुपड़ी रोटी बनाई जाती है.
सबसे पहले भोग छठ माता को चढ़ाया जाता है और इसके बाद व्रती भोजन ग्रहण करता है.
खरना के भोजन के बाद 36 घंटे का निर्जला उपवास शुरू हो जाता है.
खरना के दिन क्या खाएं
साठी के चावल, दूध और गुड़ की खीर ,घी चुपड़ी रोटी ,फल..
खरना पूजा में इन बातों का रखें ध्यान
इस दिन खीर बनाने में हमेशा अरवा चावल का ही इस्तेमाल करें.
खरना की खीर का प्रसाद हमेशा नए चूल्हे पर ही बनाये।.
खरना के प्रसाद में नमक और चीनी का भूलकर भी इस्तेमाल न करें.
व्रती खरना का प्रसाद ऐसी जगह पर ग्रहण करे जहां उनके आस पास कोई शोर न हो.
प्रसाद बनाते समय स्वच्छता का विशेष ध्यान रखें.
बंद कमरे में क्यों की जाती है खरना पूजा
मान्यताओं के अनुसार, छठ व्रत के खरना की पूजा व्रती बंद कमरे में करती हैं। ऐसा कहा जाता है कि खरना व्रत पूजा करने के दौरान व्रती के कानों तक किसी भी तरह की आवाज नहीं आनी चाहिए। कहते हैं ऐसा करने से उनकी पूजा भंग नहीं होती और साथ ही प्रसाद भी जीव-जंतु से सुरक्षित रहता है..
NEWSANP के लिए धनबाद से रागिनी पांडेय की रिपोर्ट