इरफ़ान अंसारी की फ़िसली जुबान से जामताडा का रण क्या भाजपा जीत जाएगी ?

इरफ़ान अंसारी की फ़िसली जुबान से जामताडा का रण क्या भाजपा जीत जाएगी ?

जामताड़ा(JAMTARA): बात जुबान से और तीर कमान से कभी वापस नहीं आती. इसलिए बड़े -बुजुर्गो से लेकर वेद -शास्त्रों ने बोली सोच -समझकर कहने की हिदायत दी गई है.
सियासत में जुबान या कहे बोली ही तो हथियार, जिसके जरिए तीखे और मीठे शब्दबाण छोड़े जाते हैं. नेताओं के लाग -लपेट की बाते और उनके बड़बोलापन और छोटापन सब अपने हिसाब से बोलते -कहते रहते हैं.
आपको याद होगा पिछले लोकसभा चुनाव में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और बुद्धिजीवी माने जाने वाले मणिशंकर अय्यर ने पीम मोदी को नीच कह डाला था, उनके तुरंत बोलने के बाद ही पीएम मोदी ने उनकी इस बात को एक ऐसा मसला बनाया की उनके लिए देश में बयार ही बन गई. बेचारे अय्यर साहब के तो इसके बाद अपनी पार्टी कांग्रेस और पूरे देश में इस बात को लकेर काफ़ी हुज्जत और फजीहत झेलनी पड़ी. सियासत में तो मानो उनके दिन लद गए या कहे हाशिये पर पहुंच गए. आज उनकी हैसियत राजनीतिक गलियारों में उतनी नहीं दिखती, जो एक वक़्त कभी हुआ करती थीं. दरअसल, इसके पीछे वजह यही जुबान और बड़ बोलापन था. ऐसे कई उदाहरण है, जो सियासी बिसात पर आज भी घूम रहें हैं, तो कई बाते आज भी इतिहास में दर्ज है.


अभी झारखण्ड विधानसभा चुनाव का शोर -शराबा परवान पर हैं. जहां जीत के लिए प्रत्याशी और इंडिया और एनडीए गठबंधन जोर लगाए हुए हैं. जुबानी जंग और प्रहार खूब जोर -शोर से चल रहा है.
ऐसा ही हंगामा जामतारा विधानसभा और झारखण्ड में कुछ ज्यादा कांग्रेस विधायक इरफ़ान आंसरी के उस बयान को लेकर बरपा है.जब उन्होंने जामतारा से बीजेपी उम्मीदवार सीता सोरेन के खिलाफ बोरो प्लेयर और रिजेक्टेड माल कह डाला. हालांकि इरफ़ान इसका बाद में खंडन किया और उनकी बातों को तोड़ -मरोड़ कर पेश करने की बात कही.
इरफ़ान की जुबान से ये बात निकली तो एक हंगामा और कोलाहल बरप गया, सीता सोरेन फूट -फूट कर कैमरे के सामने रोने लगी और इसे महिलाओं का अपमान करार दिया. उनका साथ कांग्रेस की अलका लाम्बा ने भी दिया और कार्रवाई की मांग इरफ़ान अंसारी के खिलाफ की.


सवाल है की इस अशोभनीय बोल या बिगड़े बोल कही लगातार दो बार से जामताडा से विधायक इरफ़ान के लिए चुनाव में महंगा साबित होगा?. क्या उनके बड़बोलेपन का खामियाजा वोटर्स उनके खिलाफ करेंगे? क्या उनकी ये उलटे बोल से भाजपा को फायदा होगा?


इन तमाम सवाल का जवाब तो जामतारा की जनता देगी, लेकिन जमीनी हकीकत ये भी है और सच्चाई माने तो इसका असर भी कही न कही होगा.आदिवासी वोटर्स सीता सोरेन के पक्ष में तो जरूर लामबंद होगी. इरफ़ान के लिए मुश्किल एंटी इनकमबेंसी भी होगी, जिसके खिलाफ भी उन्हें लड़ना होगा. वैसे भी इरफ़ान अंसारी अपने बड़बोलेपन की वजह से सड़क से लेकर सदन तक चर्चा में बने रहते हैं. कभी बाबूलाल के खिलाफ बोलकर तो कभी बीजेपी के आला नेताओं पर प्रहार करके. लेकिन, चुनाव के वक़्त एक महिला प्रत्याशी के खिलाफ और वो भी गुरु जी यानि शिबू सोरेन की बड़ी पुत्र वधू सीता सोरेन के खिलाफ बोलकर फस से गए हैं.


अगर ऐसा नहीं होता तो फिर हर जगह सफाई क्यों देते? और माफ़ी क्यों मांगते?. उन्हें भी लगता हैं अहसास हो गया हैं कि बात जो जुबान से निकली हैं, कही उनका बेड़ा गर्क न कर दें? कहीं उनके लाव -लश्कर और अरमान पर चुनाव में पानी न फेर दें?, झारखण्ड कांग्रेस के एक उभरते और अल्पसंख्यक चेहरे के तौर पर पेश करने की हसरते दफ़न न कर दें?.
जामतारा की बात करें तो विधानसभा चुनाव में यहां से एक दमदार उम्मीदवार की तलाश बीजेपी को थीं, क्योंकि ऐसा कोई दिख नहीं रहा था, जो मुकाबले में इरफ़ान को टक्कर दें सके. क्योंकि पिछले दो चुनाव में भाजपा को इसका अहसास हो गया है. सीता सोरेन को उतरकर बीजेपी ने एक बड़ा और कद्दावर दांव चला, क्योंकि जामतारा बीजेपी में कलह और गुटबाजी तो पहले से ही पसरी हुई थीं. सीता के आने से इसपर बहुत हद तक लगाम तो जरूर लगा और फायदे वाली बात ये रही कि एक बड़ा चेहरा भी बीजेपी को जामतारा से मिला .


ये तो पहले से भी अहसास था कि इरफ़ान कुछ न कुछ ऐसा जरूर बोलेंगे, जो मुद्दा बन जायेगा.क्योंकि उनकी फितरत ऐसी रही है.आखिरकार वही हुआ और अपनी आदतों से बाज नहीं आए. उन्होंने वो बोल दिया, जो चुनाव में उनके लिए गले की हड्डी बन गई हैं और शायद उनके जामतारा से हैट्रिक जीत पर एक तरह से संशय के बादल भी मंडरा दिए हैं.
देखना यही हैं की बीजेपी और सीता सोरेन इसे चुनाव तक कैसे गरमा कर रखती हैं, क्योंकि इरफ़ान की जुबान से निकले ये शब्द उनके चुनावी जीत के लिए ब्रह्मास्त्र होगा. जामतारा चुनाव में अभी बीजेपी के लिए यही मुद्दा सबसे ज्यादा गर्म है, जिसे वो कतई ठंडा नहीं करना चाहेगी.


सच्चाई ये भी है कि इरफ़ान अंसारी तमाम समीकरणों के साथ यहां मजबूत भी दिखलाई पड़ते हैं और बीजेपी को भी मालूम है की यहां इरफ़ान को शिकास्त देने और जीत हासिल करने के लिए कड़ी मेहनत और एड़ी चोटी एक करनी होगी.अब देखना यही हैं कि इरफ़ान की जुबान से निकली बात भाजपा के लिए जीत की राह कितनी आसान बनाती है, क्योंकि इसबार बेहतरीन और सजगार मौका भी है और साथ ही बीजेपी की तरफ से एक कद्दावर प्रत्याशी भी चुनावी रण में है.

NEWSANP के लिए जामताड़ा से शिवपूजन सिंह की रिपोर्ट

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