नयी दिल्ली(NEW DELHI): प्रधान न्यायाधीश जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा है कि न्यायाधीशों से संवैधानिक और कानूनी प्रश्नों पर निर्णय करते समय लौकिक नैतिकता से अप्रभावित होकर कार्य करने की अपेक्षा की जाती है. जस्टिस चंद्रचूड़ ने बुधवार को भूटान में जिग्मे सिंग्ये वांगचुक व्याख्यान श्रृंखला के तहत ‘भूटान डिस्टिंग्विश्ड स्पीकर्स’ फोरम को संबोधित किया. उन्होंने न्यायपालिका की विश्वसनीयता और अदालतों में संस्थागत विश्वास के विषय पर भी अपनी बात रखी. कहा कि न्यायालयों में संस्थागत विश्वास और उनकी विश्वसनीयता ही एक समृद्ध संवैधानिक व्यवस्था का आधार है और न्यायालय सीधे तौर पर लोगों के ट्रस्टी के रूप में संसाधनों को अपने पास नहीं रखते हैं.
वकीलों का अनादर करने वाले जजों से निपटा जाये
बार काउंसिल ऑफ इंडिया ने सीजेआइ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ को पत्र लिख कर वकीलों का अनादर करने वाले जजों से निपटने और न्यायिक अखंडता की रक्षा के लिए सुधारों की मांग की. पत्र में बीसीआइ के अध्यक्ष मनन कुमार मिश्रा ने कहा कि न्यायिक आचरण के स्वीकार्य सीमाओं को पार करने की बढ़ती घटनाओं ने जजों के लिए स्पष्ट और लागू करने योग्य आचार संहिता स्थापित करने की तत्काल आवश्यकता पर बल दिया. उन्होंने कहा कि संहिता में शिष्टाचार बनाये रखने और यह सुनिश्चित करने पर ध्यान केंद्रित किया जाना चाहिए कि जज वकीलों, वादियों और अदालत के कर्मचारियों के साथ सम्मानपूर्वक बातचीत करें.
NEWSANPके लिए नयी दिल्ली से ब्यूरो रिपोर्ट

