बालू का मिला विकल्प, आर्टिफिसियल बालू से अब बंगाल की नदियों का दोहन होगा कम, पर्यावरण को मिलेगा बढ़ावा घटेगा ,पर भू -धंसान का अब भी खतरा…

आसनसोल (Asansol), पश्चिम बंगाल का आसनसोल इलाका वैसे तो यह इलाका अधौगिक क्षेत्रों के रूप मे अपनी पहचान रखता है, पर इस इलाके से पाया जाने वाला कोयला आसनसोल को एक अलग ही पहचान देती है, वर्षों से आसनसोल के विभिन्न इलाकों से इसीएल कंपनी भूमिगत कोयले की खदानों व ओपेन कास्ट कोयले की खदानों की मदद से कोयला उत्पादन कर रही है, ऐसे मे ओपेन कास्ट कोयले के खदानों से किये जा रहे कोयले के उत्पादन के दौरान कोयला खदानों से निकलने वाले मलवे को खदान से कुछ दूर खाली पड़े जमीन पर जमा किया जाता है, जो मलवा देखते ही देखते एक बड़ा पहाड़ का रूप ले लेता है,

इसीएल के ओपेन कास्ट कोयले की खदान से निकले मलवों से बने आसनसोल मे कई पहाड़ देखने को मिल जाते हैं, ऐसे मे कोयला उत्पादन के लिये इस्तेमाल की जाने वाली जमीन तो बर्बाद होती ही है, साथ मे उस कोयले के खदान से निकले मलवों से बन चुके पहाड़ के कारण भी भारी संख्या मे जमीन बर्बाद हो रही है, यहीं नही इसीएल द्वारा कोयला उत्पादन के लिये ऐसी कई भूमिगत कोयले की खदान है, जिनमे से कुछ खदाने चल रही है, तो कुछ बंद पड़ी है, ऐसे मे अक्सर भू धंसान का खतरा बना रहता है, जिसको देखते हुए इसीएल द्वारा बंद पड़े कोयले के खदानों मे बालू की भराई कर दी जाती है,

इसीएल के बंद पड़े भूमिगत कोयले के खदानों मे बालू भराई के नाम पर बंगाल के विभिन्न नदियों से बालू उठाव का काम चलता है, और इसीएल के नाम निकला नदी घाटों से बालू बंगाल ही नही बल्कि अन्य राज्यों मे ऑने -पौने दामों पर बेचा जाता है, जिसको देखते हुए इसीएल के नाम पर हो रही बालू तस्करी पर लगाम लगाने व नदियों की हो रही दोहन को कम करने के साथ -साथ पर्यावरण को बढ़ावा देने के मकसद से कुत्रिम बालू बनाने की तैयारी अब आसनसोल मे शुरू कर दी गई है,

आर्टिफिसियल बालू बनाने के लिये इसीएल द्वारा परसिया इलाके मे एक पिओबी प्लांट बनाया गया है, जिस प्लांट मे अहम् कंसलटेंट प्राइवेट लिमिटेड व तोशानी प्राइवेट लिमिटेड संयुक्त रूप से मिलकर इसीएल के ओपेन कास्ट कोयला खदानों से निकले मलवों को क्रेशर मशीन मे अच्छे से चूर और पिसाई कर उसको वाशिंग के बाद बालू का रूप देने का काम कर रही है, जिस बालू को हम कुत्रिम बालू के नाम से जानते और पहचानते हैं, यह कुत्रिम बालू उतना ही उपयोगी है जितना की नदियों मे पाया जाने वाला बालू, जिस बालू को इसीएल के बंद पड़े कोयला खदानों की भराई ही नही बल्कि किसी पुल, ब्रिज, ईमारत और सड़क बनाने के लिये उपयोग किया जा सकता है, इसीएल द्वारा कुत्रिम बालू का किया जा रहा उत्पादन व उसके उपयोग से बंगाल की नदियों का दोहन अब काफी हद तक कम हो जाएगा, साथ ही इसीएल के नाम पर की जा रही बालू की तस्करी पर भी काफी हद तक लगाम लगेगा,

इसके अलावा पर्यावरण को तो बढ़ावा मिलेगा ही साथ मे इसीएल द्वारा कोयला उत्पादन के लिये की गई ओपेन कास्ट कोयले के खदान से निकले मलवों से बने कई पहाड़ों से बर्बाद हो चुकी जमीन भी खाली होगी जिस जमीन को इसीएल किसी अन्य कार्य मे उपयोग भी कर पाएगी, वहीं इसीएल बहोत कम खर्च मे नदियों से बालू नही खरीद कर अपने पीओबी प्लांट द्वारा तैयार की जा रही कुत्रिम बालू को अपने बंद पड़े भूमिगत कोयले के खदानों को भराई करने मे इस्तेमाल करेगी, जिससे भू धसान का खतरा लगभग पूरी तरह समाप्त हो जाएगा

NEWSANP के लिए आसनसोल से अमरदेव की रिपोर्ट

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