धनबाद(DHANBAD): ईद उल अजहा (बकरीद) का त्योहार 17 जून को मनाया जाएगा। ईद के बाद बकरीद मुस्लिम समुदाय का दूसरा सबसे बड़ा पर्व है। इसे कुर्बानी का त्योहार भी कहा जाता है। मस्जिदों एवं ईदगाहों में बकरीद की नमाज अदा की जाएगी। उसके बाद कुर्बानी दी जायेगी।
ऑल इंडिया उलमा बोर्ड झारखंड के प्रदेश अध्यक्ष हाजी जमीर आरिफ ने बताया कि ईद-उल-अजहा इस्लाम का एक अहम पर्व है, जो इस्लामिक कैलेंडर के आखिरी माह जिलहिज्जा की दस तारीख को पूरी दुनिया में मनाया जाता है। यह बहुत ही मुबारक महीना है जिसमें हज अदा किया जाता है। यह त्योहार खास तौर पर कुर्बानी के लिए जाना जाता है। इसी दिन पैगम्बर हजरत इब्राहिम अलैहिस्सलाम अपने प्यारे बेटे हजरत इस्माईल अलैहिस्सलाम को अल्लाह की रजा के लिए कुर्बान करने जा रहे थे। अपनी आंखों पर काली पट्टी बांध कर जैसे ही उन्होंने अपने बेटे की गर्दन पर छुरी चलानी शुरू की तो अल्लाह के हुक्म पर फरिश्तों ने हजरत इस्माईल अलैहिस्सलाम की जगह जन्नत से एक दुंबा लाकर रख दिया और उसकी कुर्बानी की गई।
तब से कुर्बानी देने का सिलसिला शुरू हुआ । दुआ है की अल्लाह हम सभी के गुनाहों को बख्श दे. हमारी कुर्बानी और नेक आमाल को कुबूल फरमाएं।
मुस्लिम समुदाय के लोगों का कहना है कि बकरीद को लेकर खस्सी का बाजार सज गया है। धनबाद के पुराना बाजार से लेकर झरिया तक दूसरे राज्यों से एक से बढ़ एक खस्सी मंगाई गई है। जिसकी कीमत लगभग 10 हजार से लेकर 2 लाख तक है।
NEWS ANP के लिए कुंवर अभिषेक सिंह की रिपोर्ट..
