रांची(RANCHI): सियासत जीत -हार के बाद भी चलते रहती है. यही इसकी रंग -ढंग और तासीर होती है, जिससे रोक और छेड़छाड़ कोई नहीं कर सकता, क्योंकि यही इसका फलासफा और फितरत है.
काफ़ी गहमागहमी और उथल -पुथल के बवडरों को समेटे झारखण्ड विधानसभा का चुनाव हेमंत सोरेन की मुख्यमंत्री की ताजपोशी के साथ खत्म हो गया. इंडिया गठबंधन ने आसानी से फिर सत्ता पर काबिज हो गई, उधर बड़े -बड़े दिग्गज नेताओं से सजी भाजपा के धुरंधर को जबरदस्त पटखनी मिली. न बाबूलाल का रुतबा काम आया, न कोल्हान टाइगर चंपाई सोरेन की दहाड़ ही कोई रंग लाई.
भाजपा के लिए तो एक करारी हार ही नहीं थी, बल्कि झारखण्ड की जनमानस का क्या मिजाज था?, यह भी खुलकर सामने आ गया.
हेमंत सोरेन की इस जीत का खुमार अभी भी सर चढ़कर बोल रहा है. इस विजय गाथा से तो लगता है कि झारखण्ड भजापा की कमर ही टूट गई है, जबकि कायदे और हकीकत वाली बात ये है कि एक विपक्ष की भूमिका में बीजेपी है. लेकिन हताशा से मानो इस धर्म को निभाने से भी भटकी सी लग रही है.
बीच -बीच में राज्य सरकार की मुखल्फत बाबूलाल मरांडी तो करते है. लेकिन वो तेवर और जोश अब कम पड़ गया है मानो.जो विधानसभा चुनाव से पहले था. हालांकि, बाबूलाल तो कुछ बोलते भी है, लेकिन, चंपाई सोरेन, अर्जुन मुंडा सरीखे पूर्व मुख्यमंत्री की जुबान से तो कुछ सरकार के खिलाफ निकलता ही नहीं है, अन्य दिग्गज बीजेपी के नेताओं की बात तो छोड़ ही दीजिये. क्या ये मान लिया जाय हेमंत सरकार का कामकाज बेहतरीन चल रहा है?, कहीं किसी तरह की कोई बात नहीं है ?.
अभी -अभी ओड़िशा के राज्यपाल पद से इस्तीफा देकर आए पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास क्या करते है और सरकार के कामकाज और नीतियों पर उनकी बात और तेवर क्या होंगे?, ये देखने वाली बात होगी.
हकीकत की बात करें और मौज़ूदा मर्म को समझे तो एक विपक्ष की जो ताकत और कुव्वत होती है, कहीं न कहीं भाजपा उसे सही तरीके से निभाने में फिलहाल पिछड़ते ही जा रही है. सवाल तो उठेगा ही और जवाब भी तो भाजपा को तलाशना ही होगा कि ये चुप्पी और ख़ामोशी की वजह क्या है? क्या विधानसभा चुनाव में अपने लश्कर की हार से अभी तक नहीं उभरे है? या फिर वजहें कुछ और है?
झारखण्ड आने पर केंद्रीय राज्य मंत्री एस पी बघेल भी दुमका में नसीहते दी कि झारखण्ड में भाजपा कार्यकर्त्ता डिप्रेशन से बाहर आए.
इन पहलुओं से इतर देखे तो झारखण्ड भाजपा में एक से एक कददवार नेता मौज़ूद है, पूर्व मुख्यमंत्रीयों का जमावाडा लगा हुआ है. पार्टी का राज्य में अपना एक अलग कैडर और जनाधार है. झारखण्ड विधानसभा चुनाव के परिणाम आने के बाद भी 33 फीसीदी वोट प्रतिशत के साथ सबसे बड़ी पार्टी इस प्रदेश में उभर कर आई.जो राज्य की जनता की पहली पसंद बताती है.
सवाल यही है और जनता को उम्मीद भी है कि भाजपा खेमे में पसरे इस सन्नाटे में एक जोरदार आवाज निकलेगी. लेकिन ये कब निकलेगी इसका इंतजार सभी को है.
NEWSANP के लिए रांची से शिवपूजन सिंह की रिपोर्ट