
विद्रोही कवि की पंक्तियों में राष्ट्र की आवाज़: “अब न झुकने देंगे तिरंगा, अब न हारने देंगे भारत!”
जामताड़ा(JAMTARA): भारतीय सेना द्वारा हाल ही में किए गए “ऑपरेशन सिंदूर” की ऐतिहासिक सफलता पर पूरे देश में गर्व की लहर है। इसी वीरता, बलिदान और राष्ट्रीय गर्व के प्रतीक तिरंगे की शान में जामताड़ा नगर में एक भव्य ‘तिरंगा यात्रा’ निकाली गई, जिसमें सैकड़ों देशभक्तों ने हिस्सा लिया।
तिरंगे की गरिमा और सेना के पराक्रम का जन उत्सव
- स्थान: जामताड़ा नगर
- मार्ग: सुभाष चौक से वीर कुंवर सिंह चौक, बाजार रोड होते हुए माँ चंचला चौक तक
- आयोजक: तिरंगा यात्रा समिति
- उद्देश्य: ऑपरेशन सिंदूर की वीरगाथा को जन-जन तक पहुंचाना और भारतीय सेना के शौर्य को सार्वजनिक सम्मान देना।
- संदेश: “तिरंगा सिर्फ एक झंडा नहीं, भारत के आत्मगौरव और संकल्प का प्रतीक है।”
क्या है ऑपरेशन सिंदूर?
- पृष्ठभूमि: 22 अप्रैल को पाकिस्तान समर्थित आतंकियों ने निर्दोष भारतीयों को धर्म पूछकर मारा था।
- सेना की प्रतिज्ञा: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने घोषणा की – “आतंकी चाहे कहीं भी छिपे हों, उन्हें बिल से निकालकर मारा जाएगा।”
- कार्रवाई:
- 7 मई की रात 1 बजे भारतीय सेना ने पाकिस्तान के अंदर घुसकर 9 आतंकी अड्डों को ध्वस्त किया।
- सैकड़ों आतंकियों का खात्मा हुआ।
- पाकिस्तान एयरबेस भी बर्बाद कर दिया गया।
- यह कार्रवाई उस दर्द की प्रतिक्रिया थी, जब कश्मीर के पहलगाम में एक महिला के माथे का सिंदूर आतंकियों ने छीन लिया था।
- नामकरण: इसलिए इस मिशन को “ऑपरेशन सिंदूर” कहा गया – देश की बहनों की लाज और शौर्य की रक्षा हेतु।
भव्य यात्रा में क्या हुआ – वक्ताओं की भावनाएँ
सुमित शरण
“भारत ने बताया कि हम सिर्फ चेतावनी नहीं, कार्रवाई भी करते हैं। ऑपरेशन सिंदूर सिर्फ जवाब नहीं, प्रतिशोध की परिभाषा बन गया।”
अनूप राय
“भारतीय सेना ने पाकिस्तान के एयरवेज को तबाह किया। पाक सेना घुटनों पर आ गई। सीजफायर की भीख पाकिस्तान ने मांगी, मगर सेना ने साफ कर दिया – अगली बार ‘गोली का जवाब गोला’ होगा।”
निवास मंडल
“पाकिस्तान को गहरी चोट दी गई है। अब वह न कह पा रहा, न सह पा रहा। तिरंगा यात्रा हमारी गर्वगाथा का प्रतीक है।”
माधव चंद्र महतो
“जिसने बहनों का सिंदूर मिटाया था, उसका संहार कर सेना ने सिंदूर की गरिमा लौटाई। ऑपरेशन सिंदूर भारत का शिव तांडव था।”
मनीष दुबे
“तिरंगा यात्रा से दिलों में शांति और गर्व दोनों है। सेना ने हमारे असहाय गुस्से को पराक्रम में बदल दिया।”
कमल गुप्ता
“सेना की अडिग सुरक्षा का प्रतीक तिरंगा है। इस यात्रा से हमने वीरों को नमन किया।”
संजय अग्रवाल
“सेना सिर्फ सीमाओं की नहीं, हमारे आत्मसम्मान की रक्षक है। आज हर भारतवासी का सीना गर्व से चौड़ा है।”
आभा आर्या
“सेना का बलिदान देश की आत्मा है। हम उन माताओं, बहनों और पत्नियों को भी सलाम करते हैं, जिन्होंने अपने अपनों को राष्ट्र के लिए समर्पित किया।”
विष्णु रवानी
“ऑपरेशन सिंदूर विश्वास की जीत है। तिरंगा यात्रा इसी विश्वास का उत्सव है।”
प्रमुख उपस्थित लोग
संजय परशुरामका, दुबराज मंडल, मितेश शाह, दिलीप हेमब्रम, सुकुमणि हेमब्रम, सुरेश राय, महेन्द्र मंडल, किरण बेसरा, सुकुमार सरखेल, मनोज गोस्वामी, बबिता झा, प्रदीप राउत, कुणाल सिंह, संतोष सिंह, आकाश साव, भूपेश गुप्ता, राकेश पाल, संजीव दुबे, जीतेंद्र सिंह, अनुप दास, ब्रजेश राउत, जीत दुबे, सचिन सेन सहित सैकड़ों देशभक्त शामिल रहे।
विद्रोही कवि की पंक्ति में समर्पित तिरंगे को सलाम
“ये तिरंगा किसी के झुकने से नहीं झुकेगा, ये तब और ऊँचा होगा जब कोई इसे चूमते हुए मिटेगा!”
संक्षेप में
तिरंगा यात्रा केवल एक आयोजन नहीं, एक भाव है – राष्ट्र गौरव, सैन्य पराक्रम, और जनसंवेदना का। ऑपरेशन सिंदूर की वीरगाथा को जन-जन तक पहुँचाकर यह यात्रा इतिहास में एक प्रतीक बन गई – “भारत अब सिर्फ सहन नहीं करता, अब संकल्पित होकर संहार करता है।”
NEWSANP के लिए जामताड़ा से आर पी सिंह की रिपोर्ट

