सफ़ेद चूल चेहरे पर झुर्रियाँ लड़खड़ाती आवाज 75 की उम्र मे किसी सुपर मैन से कम नही बंगाल के ये बुजुर्ग चाचा…टोटो चलाकर अपने परिवार का भरण पोषण करने का कर रहे काम…

सफ़ेद चूल चेहरे पर झुर्रियाँ लड़खड़ाती आवाज 75 की उम्र मे किसी सुपर मैन से कम नही बंगाल के   ये बुजुर्ग चाचा…टोटो चलाकर अपने परिवार का भरण पोषण करने का कर रहे काम…

पश्चिम बंगाल(ASANSOL): आसनसोल नगर निगम के वार्ड संख्या 76 के काला झरिया रोड सात नंबर गली इलाके के रहने वाले 75 वर्षीय बुजुर्ग प्रशांतों कुमार राय इन दिनों काफी सुर्खियों मे हैं, सुर्खियों मे इस लिये की वह अपनी इस उम्र मे कुछ ऐसा काम कर रहे हैं, जो काम आसनसोल या फिर पश्चिम बंगाल ही नही बल्कि पुरे देश के लोगों को प्रेरणा देने का काम कर रहा है, सुपर मैन के नाम से चर्चित यह टोटो वाले बुजुर्ग चाचा 75 की उम्र मे टोटो चलाते हैं, टोटो उनका खुदका नही है, वह टोटो किसी से प्रतिदिन 250 रुपए के हिंसाब पर हर रोज किराए पर लेते हैं और कभी 500 तो कभी 600 रुपए तीन सिप्ट चलाकर कमा लेते हैं, जिससे टोटो वाले इस बुजुर्ग चाचा का खुद का पेट तो चलता ही है, साथ मे इनके घर मे मौजूद करीब अन्य पाँच लोगों का भी भरण -पोषण हो जाता है, टोटो वाले इस बुजुर्ग चाचा की अगर माने तो इनका घर भी किराए पर है, घर मे इनके साथ इनकी पत्नी, इनका एक बेटा साथ मे बेटे की पत्नी और एक पोता और पोती रहते हैं..

चाचा कहते हैं की वह 1975 के समय मे पहले मिनी बस चलाते थे, उस समय मिनी बस का खूब चलन था, धीरे -धीरे समय बिता और किराए पर चलने वाली कार की डिमांड बढ़ गई, जिसके बाद चाचा किराए पर कार चलाने लगे, किराए पर कार चलाने के बाद भी जब उनका परिवारिक खर्च पूरा नही हो पा रहा था तब चाचा किराए पर टोटो चलाने लगे, चाचा कहते हैं, वह दसवीं पास हैं, उन्होने जब से अपना होस संभाला वह मेहनत कर रहे हैं, वह कहते हैं उनके अंदर मेहनत करने की सिख उनको उनके पिता से मिली है, उनके पिता भी परिवार का भरण -पोषण करने के लिये खूब नेहनत करते थे, वह अपने पिता की परिवार के प्रति समर्पण और मेहनत को देख वह बड़े हुए और वह भी अपने पिता के नक़्शे कदमो पर चलने लगे..

यही कारण है की वह आज इस उम्र मे भी खुद से नही हारे, इस उम्र मे जहाँ लोग अपनी जीने की चाह छोड़ देते हैं, खुदके ऊपर खुदका बोझ समझने लगते हैं, बढ़ती उम्र मे होने वाली शारीरिक समस्याओं के कारण आत्महत्या कर लेते हैं, उस उम्र मे चाचा ऐसे लोगों के लिये प्रेरणा बन रहे हैं, चाचा कहते हैं की वह हर रोज सुबह करीब साढ़े तीन बजे उठ जाते हैं और करीब साढ़े चार बजे चाय पानी और बिस्किट खाकर टोटो लेकर निकल जाते हैं और ठीक सुबह सात बजे वापस अपने घर नास्ता करने चले आते हैं..

नास्ता करने के बाद वह ठीक करीब साढ़े दस बजे घर से निकल जाते हैं, जिसके बाद वह दोपहर 12 बजे वापस अपने घर चले आते हैं, वहीं वह दोपहर का खाना खाने के बाद वह करीब डेढ़ बजे एक बार फिर से घर से निकलते हैं और ठीक शाम करीबन 6 या फिर सात बजे वापस अपने घर चले जाते हैं, चाचा कहते हैं वह अपनी इस उम्र मे अपने शरीर को जिस तरह खटाते हैं, उस तरह वह अपने शरीर को आराम भी देते हैं, इसके अलावा वह टाइम -टाइम पर खाने -पिने पर भी ध्यान देते हैं, शायद यही कारण है की चाचा आज भी मेहनत मे युवाओं के साथ -साथ जवानो को भी पीछे छोड़ जाते हैं और सुपर मैन कहलाते हैं, चाचा बीएनआर से कभी चित्रा तो कभी बुर्णपुर के लिये सड़कों पर यात्री ढूंढ़ते हुए नजर आते हैं, चाचा के इस उम्र मे उनके बुलंद होंसले को देख लोग भी उनकी टोटो मे बैठकर सफर का आनंद लेते हैं..

NEWSANP आसनसोल से अमरदेव की रिपोर्ट के लिए

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