29 अप्रैल 2025 की शाम को ग्रह-नक्षत्रों की स्थिति (सांकेतिक वैदिक ज्योतिषीय विश्लेषण)
तिथि: 29 अप्रैल 2025
समय: लगभग 6:00 PM IST
स्थान: नई दिल्ली (प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में उच्चस्तरीय सुरक्षा बैठक)
मुख्य ग्रह-स्थिति:
- मंगल (Mars): अपनी उच्च राशि मकर (Capricorn) में — युद्ध, साहस और क्रियाशीलता का प्रतीक। यह स्थिति अत्यंत बलशाली मानी जाती है और सेना के पक्ष में निर्णायक मानी जाती है।
- शनि (Saturn): कुंभ (Aquarius) राशि में स्थित — नीति, अनुशासन और दीर्घकालिक योजना का कारक। यह निर्णय की परिपक्वता को दर्शाता है।
- राहु: मेष (Aries) में — उग्रता, भ्रम और साहसी कदम उठाने का कारक।
- गुरु (Jupiter): वृष (Taurus) राशि में — धर्म, न्याय और विवेकपूर्ण निर्णयों का प्रतीक।
- चंद्रमा (Moon): कृत्तिका नक्षत्र में — अग्नि तत्व प्रधान, निर्णायकता और उग्र ऊर्जा से युक्त।
- सूर्य: मेष राशि में — राजनीतिक नेतृत्व, आत्मविश्वास और तेजस्विता का सूचक।
विशेष नक्षत्र प्रभाव:
- कृत्तिका नक्षत्र का स्वामी सूर्य होता है। यह नक्षत्र “भेदन शक्ति” का प्रतिनिधित्व करता है। यह शक्ति किसी भी बाधा को काटने, निर्णय लेने और अग्नि रूपी साहस से कार्य करने का प्रतिनिधित्व करती है।
- मंगल का उच्च राशि में होना + सूर्य का बलवान होना = निर्णायक और आक्रामक सैन्य नीति।
2. ग्रह-नक्षत्रों के आधार पर निर्णायक आदेश का ज्योतिषीय संकेत
इस दिन की ग्रह-स्थिति ने यह संकेत दिया कि:
- राजनीतिक नेतृत्व (सूर्य) अत्यंत मजबूत था, जो निर्भीक निर्णय लेने के लिए प्रेरित करता है।
- मंगल और शनि की विशेष युति ने सैन्य संरचना को नैतिक वैधता और रणनीतिक छूट दींब – राहु का मेष में होना दर्शाता है कि शत्रु (पाकिस्तान) के विरुद्ध भारत को अब कूटनीतिक भ्रम को छोड़कर सीधे कार्यवाही पर विश्वास है।
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इस पूरे योग ने नेतृत्व को यह संकेत दिया कि “अब विलंब नहीं”, कार्यवाही का उचित काल है।
3. महासंग्राम में विजय की संभावनाएं (ज्योतिषीय काल गणना के आधार पर)
कालचक्र संकेत देता है:
- 2025 के मध्य से 2026 के उत्तरार्ध तक, भारत की कुंडली में मंगल दशा के प्रभाव में शुक्र अंतर्दशा चलेगी, जो रणनीतिक विजय और वैश्विक समर्थन की ओर संकेत करता है।
- अगस्त 2025 – जनवरी 2026 का समय भारत के लिए निर्णायक विजय की संभावनाओं वाला समय है। यह अवधि भारत की विदेश नीति, सैन्य शक्ति और अंतर्जात एकता का चरम प्रकट करेगी।
4. राष्ट्ररक्षक हनुमान और योद्धाओं का मनोबल
इस महासंग्राम में “ देश के योद्धाओं को राम भक्त हनुमान हौसला बढ़ाएंगे”, यह वैदिक परंपरा और लोकमान्यता के अनुसार बहुत अर्थपूर्ण है:
- हनुमान जी को मंगलदेव का अवतार माना गया है।
- जब मंगल उच्च स्थिति में हो, तब हनुमान जी की साधना से आत्मबल और साहस कई गुना बढ़ता है।
- युद्ध भूमि में मनोबल, धैर्य और मानसिक शक्ति का अधिष्ठाता तत्व हनुमान जी हैं।
यह भावना एक प्रकार से राष्ट्र-चेतना और सांस्कृतिक शक्ति का प्रतीक है।
निष्कर्ष:
29 अप्रैल 2025 की शाम को जब भारत के शीर्ष नेतृत्व ने पाकिस्तान पर कठोर और निर्णायक कार्यवाही का आदेश दिया। तो वह केवल रणनीतिक ही नहीं। बल्कि ज्योतिषीय दृष्टि से भी शक्तिशाली ग्रह-योग का परिणाम था। मंगल, सूर्य और चंद्र की स्थिति भारत को रणनीतिक, मनोवैज्ञानिक और आध्यात्मिक दृष्टि से बल प्रदान कर रही थी।
महासंग्राम में विजय का संकेत अगस्त 2025 से आरंभ होकर जनवरी 2026 तक स्पष्ट रूप से दिख रहा है। यह एक निर्णायक काल होगा जब भारत अपनी संप्रभुता और आत्मबल को विश्व मंच पर दृढ़ता से प्रस्तुत करेगा।
NEWSANP के लिए आर पी सिंह की रिपोर्ट

