बिहार(BIHAR): 2025 के चुनावी रण में उतरने से पहले CM नीतीश कुमार ने एक बार फिर पुराने सिपाहियों को पंख देने की तैयारी कर ली है। इस बार निशाने पर हैं, पंचायतों के ‘राजा’, यानी मुखिया और उनके साथ पंचायत समितियों और जिला परिषदों के जनप्रतिनिधि। मुख्यमंत्री सचिवालय संवाद भवन में गुरुवार को आयोजित बैठक का सीधा संदेश था, “जो नाराज थे, अब मान जायें।” मुखिया के पावर और भत्ता बढ़ा दिये गये हैं। पहले मनरेगा के तहत सिर्फ 5 लाख की योजना पर प्रशासनिक स्वीकृति का अधिकार था, अब मुखिया 10 लाख की योजना को हरी झंडी दिखा सकेंगे। यानी, गांव में विकास का चक्का अब मुखिया की कलम से दौड़ेगा। वहीं, हर पंचायत प्रतिनिधि का भत्ता पहले से बढ़ा दिया गया है। वहीं, राज्य के बचे हुये 1069 पंचायत सरकार भवनों को चुनाव से पहले तैयार करने का आदेश दे दिया गया है। इसके लिए जमीन मुख्यालय के गांव में न मिले तो पास के गांव में ली जा सकती है। यानी, अब ‘सरकार गांव के दरवाजे पर’ की परिकल्पना साकार होती दिखेगी। पहले केवल आकस्मिक मृत्यु पर अनुग्रह अनुदान मिलता था। अब अपने कार्यकाल में किसी भी तरह की मृत्यु हो, ₹5 लाख का सम्मान राशि मिलेगा। वहीं, बीमार होने पर मुख्यमंत्री चिकित्सा सहायता कोष से इलाज की सुविधा भी मिलेगी। शस्त्र अनुज्ञप्ति (लाइसेंस) के आवेदन अब DM को तय समय में निपटाने होंगे। यानी मुखिया अब सिर्फ बात नहीं, जरूरत पड़ने पर ‘बंदूक’ भी रख सकेंगे, वो भी नियम के दायरे में। CM नीतीश कुमार ने दो टूक कहा, “हमने 2006-07 में महिलाओं को 50% आरक्षण दिया। आज गांव की महिलाएं नेतृत्व कर रही हैं। पंचायत व्यवस्था को मजबूत करना ही हमारा लक्ष्य है।” संवाद भवन की इस बैठक में कृष्णा यादव, रश्मि कुमारी, मिथिलेश कुमार राय और अमोद कुमार निराला जैसे प्रमुख जनप्रतिनिधि मौजूद रहे। सबने एक सुर में कहा, “सरकार ने हमारी बातें सुनी हैं, अब हम पंचायत को और मजबूत करेंगे।”
भत्तों में हरियाली
पद पहले भत्ता अब भत्ता
जिला परिषद अध्यक्ष ₹12,000 ₹18,000
पंचायत समिति प्रमुख ₹10,000 ₹15,000
मुखिया ₹2,500 ₹3,750
उप मुखिया ₹1,200 ₹1,800
ग्राम कचहरी सरपंच ₹2,500 ₹3,750
ग्राम पंचायत सदस्य ₹500 ₹750
NEWSANP के लिए ब्यूरो रिपोर्ट

