बस नाम ही काफी है… हर बच्चें के जुबान पर यूं ही नहीं है देशभक्त उद्योगपति “रतन टाटा” का नाम…किसान से लेकर जवान तक सबका रखा ध्यान…

बस नाम ही काफी है… हर बच्चें के जुबान पर यूं ही नहीं है देशभक्त उद्योगपति “रतन टाटा” का नाम…किसान से लेकर जवान तक सबका रखा ध्यान…

मुंबई/झारखंड/धनबाद (NEWS ANP NATIONAL ): जैसे ही खबर आई नहीं रहे मशहूर उद्योगपति रतन टाटा, 86 साल की उम्र में ली आखिरी सांस..देश स्तब्ध हो गया.. गम में डूब गया..भारत का सच्चा देशदभक्त उद्योगपति , हर दिल अजीज ,गरीब हितैषी ,समाजसेवी के निधन से पूरा देश अश्रुपूरित नेत्रों से श्रद्धांजलि दे रहा है..

बताया जाता है कि रतन टाटा के नेतृत्‍व में टाटा समूह ने बुलंदियों को छुआ. रतन टाटा 1991 में टाटा समूह के चेयरमैन बने थे और उसके बाद से ही उन्‍होंने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा. उन्हें एक अरबपति होने के साथ ही एक सरल और नेक व्‍यक्ति के रूप में देखा जाता है. उनसे जुड़े ऐसे कई किस्‍से हैं, जो बताते हैं कि उन्‍होंने बहुत से लोगों की मदद की.

देश के एक आम आदमी की राय में रतन टाटा के निधन से देश और समाज को अपूरणीय क्षति हुई है, याद कीजिए जब किसानो के लिए हल ,कुदाल और फवाड़ा की जरूरत पड़ी तो टाटा ने बनाया..देश को आयोडीन युक्त नमक टाटा ने खिलाया , जवानों के लिए टैंक से लेकर वाहन निर्माण किए..जो एयर इंडिया दिवालिया होने के कगार पर पहुंच गई ,बैंक ऋण देने से मना करने लगे 57 साल बाद उसी एयर इंडिया को टेक ओवर कर परिचालन बेहतर कर दिया …,भला उनके इस योगदान को देश कैसे भूला सकता है…

बैंक मोड़ चैंबर महासचिव लोकेश अग्रवाल ने उनके निधन पर शोक व्यक्त करते हुए लिखा है कि

“सच पूछिए तो रतन टाटा ने अपना पूरा जीवन देश के लिए समर्पित किया और अपनी कंपनी को वैश्विक स्तर पर पहुंचाया उन्होंने अपनी आय का 60% से अधिक दान में दिया, जिससे लाखों गरीब लोगों को मदद मिली ,उनकी व्यवसायिक क्षमताओं ने टाटा समूह को नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया और इसे एक वैश्विक ब्रांड बनाया साथीसाथ उन्होंने व्यवसाय में नैतिकता और पारदर्शिता का पालन किया, जिससे वे एक आदर्श व्यवसायी बन गए परंतु इसके साथ उन्होंने देश के प्रति भी अपनी प्रतिबद्धता दिखाई और इसके विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उन्होंने गरीबों की मदद के लिए कई परोपकारी कार्य किए और उनकी स्थिति सुधारने में मदद की ।उन्हें कई विदेशी सम्मानों से सम्मानित किया गया, जिनमें पद्म विभूषण और पद्म भूषण शामिल हैं ।
उनकी विरासत व्यवसाय जगत में एक मिसाल के रूप में रहेगी और आने वाली पीढ़ियों को प्रेरित करेगी , उन्होंने देश के लिए एक संदेश दिया कि हमें अपने देश के लिए काम करना चाहिए और इसके विकास में योगदान देना चाहिए…”

समाजसेवी अजय श्रीवास्तव ने मांग किया है कि “रतन टाटा को भारत रत्न से सम्मानित किया जाना चाहिए. भारत के लिए उनका योगदान अतुलनीय रहा है, और उन्हें यह सर्वोच्च नागरिक सम्मान प्रदान करना उनके जीवन के कार्यों की उचित मान्यता होगी। रतन टाटा की दूरदर्शिता और नेतृत्व ने उद्योगों को बदल दिया है, अनगिनत अवसर पैदा किए हैं और लाखों लोगों का उत्थान किया है। उनके परोपकारी प्रयासों और सामाजिक कारणों के प्रति प्रतिबद्धता ने उन्हें न केवल एक बिजनेस लीडर बल्कि एक सच्चे राष्ट्र-निर्माता के रूप में स्थापित किया है। उनका निधन देश के लिए एक बड़ी क्षति होगी, एक ऐसा शून्य जिसे भरना मुश्किल होगा। उन्हें भारत रत्न से सम्मानित करना न केवल उनकी उपलब्धियों का जश्न मनाएगा बल्कि भावी पीढ़ियों को देश की प्रगति में निस्वार्थ योगदान देने के लिए प्रेरित करेगा।

वहीं NEWS ANP के माध्यम से कई प्रबुद्ध नागरिक और समाजसेवियों और राजनीतिज्ञों ने रतन टाटा के निधन पर शोक जताया है और अपनी भावनाएं व्यक्त की है..

कहानी खत्म हुई और ऐसी खत्म हुई कि लोग रोने लगे तालियां बजाते बजाते…

वैसे तो महान लोग कभी नही मरते, वे हमेशा जीवित रहते है हमारे ज़हन में, हमारे दिलो में, हमारी प्रेरणाओं में और हमारे किरदारों में… आपने जो इस देश और समाज के लिए किया है उसकी प्रसंशा के लिए तो शायद शब्द भी कम पड जायेंगे… व्यक्तिगत रूप से आप मेरे पसंदीदा शख्सियतों में से एक थे… मेरे हृदय में आपके लिए विशेष स्थान है,

प्रखर प्रज्ज्वलित दीप जो, मिटा रहा था घना अंधेरा… आज हार गया है तम भी उससे, ले आया वो नया सवेरा!…

आज एक युग का अंत हुआ व्यापार जगत के साथ इंसानियत कैसे जिंदा रखी जाती है वो आपने इस युग को सिखाया।

THE TATA भारत आपका हमेशा आभारी रहेगा। नमक से लेकर कार तक सबकुछ आपने अपने व्यापार में शामिल किया इन सब में एक बात Common थी वो था विश्वास समान TATA का है तो धोखा नही होगा ये भरोसा आपने देश को दिया।। Thank you sir for your contribution. आने वाली पीढ़ी को बता पाउंगा की हमारे जमाने में टाटा थे हम उन्हें देख पाये सुन पाये और वो हमें सिखा कर गये की कमाना है तो विश्वास कमाओ।पैसा खुद ब खुद आएगा।।।

आम और ग़रीब लोगों के असल मसीहा,हमदर्द रतन टाटा थे।
टाटा की चाय पत्ती आज भी 5 रुपये के पेक में मार्केट में बिकती है,या फिर आम आदमी के कार के सपने को पूरा करने वाली डेढ़ लाख की टाटा नेनो हो, टाटा बस,ट्रक,एयरलाइंस या मोबाइल सर्विस,कपड़ा,इलेक्ट्रॉनिक्स, हर तबके तक पहुँच है टाटा ग्रुप की और इस सबके पीछे विज़न था रतन टाटा का।
कारोबार हम सभी करते हैं लेकिन आम आदमी के बजट के मुताबिक सर्विस देना,देश की एक बहुत बड़ी आबादी को सस्ती चीज़ें मुहेय्या कराना वो एक कारोबारी के साथ साथ नेक दिल इंसान ही कर सकता है।

1868: भारत की असली क्रांति – टाटा समूह की नींव

1857 की क्रांति के बारे में तो सभी ने पढ़ा है, लेकिन क्या आपने 1868 की क्रांति के बारे में सुना है? जी हां, 1868 में भारत की आर्थिक क्रांति की नींव रखी गई, जिसने आने वाले वर्षों में लाखों भारतीय परिवारों को रोज़गार दिया और एक मज़बूत भारत की नींव डाली। मैं बात कर रहा हूँ टाटा समूह की, जिसकी शुरुआत जमशेतजी टाटा ने 1868 में की थी।

उस समय हम अंग्रेजों से आज़ादी की लड़ाई लड़ रहे थे, और साथ ही भारत के उद्योग जगत का उदय हो रहा था। उद्योग किसी भी देश की मज़बूती का अहम हिस्सा होते हैं, जो बेरोज़गारी को खत्म कर देश को सशक्त बनाते हैं। इसी सोच के साथ जमशेतजी ने टाटा समूह की शुरुआत की, जो आज लाखों भारतीयों के जीवन का अभिन्न हिस्सा बन चुका है।

1907 में जमशेदपुर में टाटा स्टील की स्थापना हुई, जिसे आज टाटानगर के नाम से जाना जाता है। जब देश बिजली के अभाव में अंधकार में डूबा रहता था, तब टाटा ने 1910 में बिजली उत्पादन शुरू किया। 1917 में टाटा नमक और साबुन से लेकर घर-घर में पहचान बना ली।

1932 में जब भारत में हवाई जहाज की कल्पना भी नहीं की जा रही थी, टाटा ने टाटा एयरलाइंस की शुरुआत की, जो बाद में एयर इंडिया बनी। 1939 में टाटा ने केमिकल उद्योग में कदम रखा और 1945 में टाटा मोटर्स की स्थापना की।

टाटा समूह ने हर क्षेत्र में कदम रखा, चाहे वो चाय-कॉफी हो, फैशन हो या फिर सॉफ़्टवेयर। आज आपकी किचन में टाटा नमक से लेकर आसमान में टाटा के विमान तक, हर जगह टाटा का योगदान है।

रतन टाटा के नेतृत्व में, टाटा समूह ने लक्ज़री कारों के व्यवसाय में कदम रखा। शुरुआत में नुकसान हुआ, लेकिन रतन टाटा ने हार नहीं मानी। 2012 में उन्हीं लैंड रोवर और जैगुआर जैसी कंपनियों को ख़रीदकर इतिहास रच दिया, जिनसे कभी उन्हें ताने मिले थे।

रतन टाटा आज भले ही हमारे बीच नहीं हैं, लेकिन उनका योगदान और उनका नेतृत्व हमेशा हमें प्रेरित करता रहेगा। लोग भले ही अंबानी, अडानी या एलन मस्क बनने का सपना देखें, लेकिन रतन टाटा जैसा कोई दूसरा नहीं हो सकता। उनका नाम और काम हमेशा एक सूरज की तरह रहेगा, जो पूरी दुनिया को रोशन करता रहेगा।

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NEWS ANP के साथ रागिनी के साथ कुंवर अभिषेक सिंह की रिपोर्ट

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