दीप वहां जलाएं, जहां अब भी अंधेरा है: संत प्रवर श्री विज्ञान देव जी महाराज..

दीप वहां जलाएं, जहां अब भी अंधेरा है:  संत प्रवर श्री विज्ञान देव जी महाराज..

धनबादः (DHANBAD)अध्यात्म मानव जीवन की अपरिहार्य आवश्यकता है। इसके द्वारा हमारे जीवन का संपूर्ण विकास होता है। विहंगम योग का सैद्धान्तिक सद्ग्रन्थ *स्वर्वेद* अध्यात्म जगत की एक अन्यतम कृति है।

यह हमारी आध्यात्मिक यात्रा को सदैव जागृत रखता है। उक्त उद्गार स्वर्वेद कथामृत के प्रवर्तक सुपूज्य संत प्रवर श्री विज्ञान देव जी महाराज ने संकल्प यात्रा के क्रम मे शहर के टाउन हॉल मे आयोजित जय स्वर्वेद कथा एवं ध्यान साधना सत्र में उपस्थित सभी श्रद्धालुओं के मध्य व्यक्त किये। महाराज जी ने कहा कि *सत्संगति हमारे जीवन को निखारती है

शरीर की पुष्टि और इन्द्रियों की तृप्ति मानव जीवन का उद्देश्य नहीं हो सकता। शरीर का ध्यान रखना है, जितना आवश्यक है। शरीर को सबकुछ समझ कर आत्मकल्याण के मार्ग से दूर हो जाना ये श्रेष्ठ जीवन नहीं है। संत प्रवर जी ने बताया कि आज मन पर नियंत्रण न होने से समाज में विसंगतियाँ बढ़ रहीं हैं।

युनेस्को की एक प्रस्तावना कहती है कि युद्ध की प्राचीरें कुत्सित मन से निकलती हैं। अतः मन पर नियंत्रण आवश्यक है। उन्होंने कहा कि हमारे मन में असीम शक्ति है। ईश्वर ने हमें बड़ी शक्तियों वाला अन्तःकरण दिया है। मानव के मन में अशांति है और जब तक यह अशांति है तब तक विश्व में शांति की कल्पना नहीं की जा सकती। मन की अशांति को विहंगम योग की ध्यान साधना के द्वारा दूर किया जा सकता है। उन्होंने जय स्वर्वेद कथा के क्रम में कहा कि *भारत की आत्मा का नाम अध्यात्म है*। आध्यात्मिक महापुरुषों के बदौलत ही भारत विश्व गुरु रहा है, विश्वगुरु है और मैं कहता हूं भारत विश्व गुरु रहेगा..

संत प्रवर श्री विज्ञान देव जी महाराज ने उपस्थित श्रद्धालुओं को विहंगम योग के क्रियात्मक योग साधना को सिखाया। कहा कि *यह साधना खुद से खुद की दूरी मिटाने के लिए है।*संत प्रवर श्री विज्ञानदेव जी महाराज की दिव्यवाणी जय स्वर्वेद कथा के रूप में लगभग 2 घंटे तक प्रवाहित हुई..

स्वर्वेद के दोहों की संगीतमय प्रस्तुति से सभी श्रोता मंत्रमुग्ध हो उठे।दिव्यवाणी के पश्चात मुख्य आगंतुकों को संत प्रवर जी के हाथों विहंगम योग का प्रधान सद्ग्रन्थ स्वर्वेद भेंट किया गया। आयोजकों ने बताया कि विहंगम योग सन्त समाज के शताब्दी समारोह महोत्सव एवं 25000 कुण्डीय स्वर्वेद ज्ञान महायज्ञ के निमित्त संत प्रवर श्री विज्ञान देव जी महाराज 7 जुलाई को संकल्प यात्रा का शुभारंभ कन्याकुमारी की धरती से हो चुका है।

संकल्प यात्रा के प्रथम चरण में दक्षिणभारत के सभी राज्यों के विभिन्न शहरों के पश्चात छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र, उड़ीसा, मध्यप्रदेश, दिल्ली, हरियाणा, बिहार के बाद झारखण्ड के गढ़वा, डालटनगंज, लातेहार, गुमला, रांची, जमशेदपुर, बोकारो,रामगढ़, हजारीबाग, बेरमो, देवघर के बाद आज धनबाद में पहुँच चुकी है। आगामी 6 एवं 7दिसंबर 2025 को विशालतम ध्यान – साधना केंद्र (मेडिटेशन सेंटर) स्वर्वेद महामंदिर, वाराणसी के पावन परिसर में 25000 कुंडीय स्वर्वेद ज्ञान महायज्ञ होना है। उसी क्रम में यह संकल्प यात्रा हो रही है जिससे अधिक से अधिक लोगों को पूरे भारत वर्ष में लाभ मिले।

इस अवसर पर प्रमुख रूप से जीपी सिंह, रत्नेश कुमार सिंह, रवीन्द्र अम्बष्ट, आशुतोष शेखर, डब्ल्यू सिंह, आरबी कुमार, आरडी शर्मा, संजीव सिंह, दयकांत, सती केशरी, हिमांशु शेखर सिंह, श्रीनाथ यादव, किशोरी गुप्ता, बिजेन्द्र सिंह, अरूण पाण्डेय, गुलाब सिंह, एमपी सिंह, मुन्ना बर्णवाल, मुकुंद राम, भरत सिंह, रवीन्द्र सिंह, बह्मदेव सिंह, ओपी सिंघम, अशोक महतो, सुरेन गोप, अंजू सिंह, रामलाल महतो, माणिक भंडारी, कोकिला गोराई, लालदेव महतो, सुखेन आदि लोग उपस्थित रहे।

NEWS ANP के लिए कुंवर अभिषेक सिंह की रिपोर्ट

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