झारखंड(JHARKHAND): झारखंड के 48 मजदूरों की हिम्मत और संघर्ष आखिर रंग लाया। ट्यूनीशिया में फंसे सभी भारतीय मजदूरों को भारत सरकार और झारखंड प्रशासन के प्रयासों से सुरक्षित स्वदेश वापस लाया गया है। इन सभी कामगारों का संबंध हजारीबाग, गिरिडीह और बोकारो जिलों से है। कुछ हफ्ते पहले इन मजदूरों ने सोशल मीडिया पर वीडियो जारी कर अपनी खराब स्थिति बताते हुए वापसी की गुहार लगाई थी, जिसके बाद केंद्र और राज्य दोनों सरकारें हरकत में आईं।
क्या था मामला
करीब छह महीने पहले ये मजदूर ट्यूनीशिया की एक कंस्ट्रक्शन कंपनी में काम करने गए थे। एजेंटों ने इन्हें अच्छे वेतन और सुविधाओं का झांसा देकर विदेश भेजा था। लेकिन वहां पहुंचने के बाद कंपनी ने न तो तय सैलरी दी, न ही पर्याप्त खाना या रहने की व्यवस्था। मजदूरों के पासपोर्ट भी जब्त कर लिए गए थे, जिससे वे देश नहीं लौट पा रहे थे।
थक-हारकर मजदूरों ने एक वीडियो बनाकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, विदेश मंत्री एस. जयशंकर और झारखंड सरकार से मदद की अपील की। वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल होने के बाद भारत सरकार ने तुरंत कार्रवाई शुरू की।
सरकार की त्वरित पहल
विदेश मंत्रालय और भारतीय दूतावास ने ट्यूनीशिया के अधिकारियों से संपर्क कर मजदूरों की रिहाई की प्रक्रिया शुरू की। झारखंड सरकार ने भी सक्रिय भूमिका निभाई। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने ट्वीट कर कहा कि “राज्य सरकार हर नागरिक की सुरक्षा के लिए प्रतिबद्ध है।” इसके बाद सभी 48 मजदूरों को दिल्ली लाया गया, जहां से उन्हें उनके जिलों तक पहुंचाया गया।
घर लौटने पर भावुक हुए परिवार
मजदूरों की सुरक्षित वापसी के बाद उनके परिवारों में खुशी का माहौल है। हजारीबाग के रहने वाले मजदूर रमेश महतो ने कहा, “हमने सोचा था अब घर नहीं लौट पाएंगे, लेकिन सरकार ने हमें बचा लिया।”
यह घटना एक बार फिर उन हजारों भारतीय मजदूरों की समस्याओं को उजागर करती है, जो रोजगार की तलाश में विदेशी एजेंटों के झांसे में आ जाते हैं। फिलहाल झारखंड के ये सभी मजदूर सुरक्षित घर लौट चुके हैं और प्रशासन ने एजेंटों के खिलाफ जांच शुरू कर दी है।
NEWSANP के लिए झारखंड से ब्यूरो रिपोर्ट

