“जिंदगी मेरी बदल गई जब से मसीह को पाया है” गीत से पूरा संत एंथोनी धनबाद, चर्च गूंज उठा..

“जिंदगी मेरी बदल गई जब से मसीह को पाया है” गीत से पूरा संत एंथोनी धनबाद, चर्च गूंज उठा..

धनबाद(DHANBAD) || आज दिनांक 17 नवंबर 2024, प्रातः 7:30 बजे पूर्वाह्न, दिन रविवार को पहला परमप्रसाद ग्रहण समारोह कार्यक्रम का आयोजन किया गया जिसमें हजारों की संख्या में ईसाई धर्मावलंबी उपस्थित थे। परमप्रसाद ग्रहण संस्कार ईसाई धर्मावलंबियों के सात महानतम संस्कारों में से एक है। जिसे कुल 10 बच्चे और बच्चियों ने सफेद वस्त्र पहन हाथों में प्रदीप्त मोमबत्ती लिए इस महान संस्कार को पहली बार ग्रहण किया तथा उन्हें पहले परमप्रसाद ग्रहण करने का फादर अमातुस कुजूर द्वारा प्रमाण पत्र दिया गया। परमप्रसाद ग्रहण करने के लिए बच्चे वर्षों से धर्म पर आधारित शिक्षा ग्रहण करते हैं। धर्म शिक्षा देने में मिशनरीज आफ चैरिटी की सिस्टर अनूपा, सिस्टर बारटीला, सिस्टर नोवेलेस का काफी योगदान रहा है। परमप्रसाद ग्रहण करने के पूर्व सभी बच्चे और बच्चियों द्वारा फादर के समक्ष पाप स्वीकार कराया किया। पहले परमप्रसाद ग्रहण समारोह आरंभ के पूर्व सेवक ने क्रूस और मोमबत्ती लिए 10 बच्चे और बच्चियों- एरिक जॉन सोरेन, साइमन पैट्रिक बिल, जैस्मिन भेंगरा, आल्विन राव, एल्विन केरकेट्टा, हर्षित मिंज, रीना हेंब्रम, अलीशा केरकेट्टा, हर्षित मुर्मू एवं जोसेफ स्टेनली बिल जो सफेद वस्त्र पहने हाथों में मोमबत्ती लिए हुए इंदू केरकेट्टा,अरुणा टोप्पो, अल्बीना केरकेट्टा,किरण बाखला, एडविना किंडो, सरोज पन्ना, रजनी बारला, नीतू प्रसाद, नीलू एक्का, एस्थर किंडो, इसाबेला टोपनो आदि के नेतृत्व में महिला समिति द्वारा प्रवेश नृत्य करते हुए बेदी तक ले गए। तत्पश्चात प्रार्थना समारोह आरंभ हुआ। प्रार्थना समारोह को सुंदर गीतों से चर्च के काॅयर दल के सदस्यों शांति सोए, खुशबू सुरीन, रिशु सुरीन, राखी सुरीन, जेनू बारला, आदित्य टोप्पो, इतवा टूटी आदि ने सजाया। समारोह के दौरान पहला परमप्रसाद ग्रहण कर रहे बच्चों के द्वारा पवित्र बाइबल को बाइबल जुलूस के रूप में वेदी तक ससम्मान लाया गया तथा बाइबल पाठ किया गया। फादर अमातुस कुजूर ने अपने उपदेश में कहा की-आज का यह दिन न सिर्फ पहली बार परम प्रसाद ग्रहण कर रहे बच्चे बच्चियों के लिए बल्कि पूरे परिवार एवं कलीसिया के लिए भी एक बहुत ही महत्वपूर्ण दिन है। ऐसा कहने के साथ ही फादर अमातुस ने प्रत्येक बच्चों का परिचय सभी के सामने दिया। उन्होंने अपने उपदेश में कहां की जिस प्रकार भूख लगने पर हम भोजन करते हैं और शारीरिक रूप से तृप्त हो जाते हैं। ठीक उसी प्रकार आत्मिक रूप से तृप्त होने के लिए हमें आत्मिक भोजन की आवश्यकता होती है। आत्मिक भोजन अर्थात प्रभु यीशु का शरीर तथा रक्त, रोटी और दाखरस अर्थात परम प्रसाद के रूप में ग्रहण करना है। प्रभु यीशु ने स्वयं को स्वर्ग से उतरी हुई रोटी अर्थात जीवन की रोटी कहा है और जो कोई भी इस रोटी को खाएगा वह अनंत जीवन को प्राप्त करेगा। आज यह बच्चे और बच्चियों प्रभु के शरीर को ग्रहण करने के साथ ही प्रभु यीशु के साथ एक नए रिश्ते की शुरुआत करने जा रहे हैं एक ऐसा रिश्ता जो आज से जीवन भर इन बच्चों के साथ जुड़ा रहेगा एवं उन्हें सही राह पर चलने में सहायक होगा। यहां प्रभु कहते हैं की भले ही तुम मुझे भूल जाओ अथवा छोड़ दो लेकिन इस नए रिश्ते में जुड़ने के साथ ही मैं तुम्हें कभी भी नहीं छोडूंगा बल्कि सदैव तुम्हारे साथ रहूंगा। उपदेश के पश्चात सपना, मुर्मू एलिना जॉस्फिन एक्का, सौम्या मुर्मू एवं दिव्या द्वारा चढ़ावा नृत्य प्रस्तुत किया गया।

पहला परम प्रसाद ग्रहण संस्कार: पहला परम प्रसाद ग्रहण संस्कार ईसाई धर्मावलंबियों का एक अभिषेक है जो चर्च के फादर द्वारा सभी को परमप्रसाद और दाखरस पहली बार ग्रहण कर रहे बच्चे और बच्चियों को देते हुए कहते हैं- यह लो और खाओ यह मेरा शरीर है जो तुम्हारे लिए दिया जाता है और उसके बाद पीने को दाखरस देते हुए कहते हैं- इस को पियो यह मेरा लहू है जो तुम्हारे लिए बहाया गया है। यहां ‘शरीर’ अर्थात ‘प्रभु यीशु का शरीर'(रोटी के रुप में) तथा ‘दाखरस’ अर्थात ‘प्रभु यीशु का लहू’ है जिसे एक संस्कार के रुप में ईसाईयों को मसीही विश्वास में दृढ़ होने के लिए ग्रहण कराया जाता है। ईसाई धर्मावलंबियों के सात महान संस्कारों में से यह एक महत्वपूर्ण संस्कार है। सात महान संस्कार- बपतिस्मा (जन्म के साथ नामकरण), पाप स्वीकार, परमप्रसाद, दृढ़ीकरण ,विवाह, बुलाहट (पुरोहित अभिषेक) और अंत-मलन (मृत्यु के पश्चात) हैं। समारोह को सफल बनाने में शिशिर प्रभात तिर्की, एतवा टूटी, हरमन बिल आदि की सराहनीय भूमिका रही।

NEWS ANP के लिए धनबाद से ब्यूरो रिपोर्ट..

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