पाकुड़(PAKUD):पाकुड़ जिला मुख्यालय स्थित ऐतिहासिक स्वर्ण जयंती संताली समारोह की अध्यक्षता अंशलेरो के सचिव छवि हेंब्रम के द्वारा की गई। बतौर कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में झारखंड सरकार के पूर्व मंत्री तथा वर्तमान जामा विधानसभा के विधायक डॉ लुईस मरांडी शामिल हुई.सर्वप्रथम संताली लिटरेरी एंड कल्चरल सोसायटी झारखंड के अध्यक्ष रेवरेंड रोशन हांसदा तथा सचिव जोयराज टुडू के द्वारा किया गया. संताली साहित्य का इतिहास एवं वर्तमान हालात इस विषय पर परिचर्चा के लिए मुख्य वक्ता के रूप में डा० लुईस मरांडी, बरनाबास भूषण किस्कू तथा भरत टुडू ने परिचर्चा में भाग लेते हुए अपनी बातें रखी।
अपने अध्यक्ष जी भाषण में छवि हेंब्रम ने कहा कि 1973 में जो संताली का सम्मेलन हुआ था उस समय की स्थिति और वर्तमान स्थिति में बहुत बदलाव आया है ।उस समय विद्यालयों तथा महाविद्यालयों में संताली की पढ़ाई नहीं होती थी, लेकिन आज विद्यालय, महाविद्यालय एवं विश्वविद्यालयों में संताली की पढ़ाई हो रही है। लेकिन संताली विषयों के लिए पुस्तकों की कमी अभी बनी हुई है ,इस समस्या को दूर करने के लिए उन्होंने कहा कि हमें पुस्तकों की रचना किए जाने की आवश्यकता है। संथाली भाषा के लिए लेखकों की भी कमी है, इस समस्या को भी दूर करने की आवश्यकता है। प्रथम सत्र के प्रथम वक्ता डा लुईस मरांडी का विषय था संताली का मौखिक साहित्य एवं रेवरेंड पी ओ बोर्डिंग द्वारा की गई रचना। इस पर उन्होंने कहा कि पी ओ बोर्डिंग ने संतालों से संबंधित सभी विषयों पर अध्ययन करने के उपरांत संथाल संस्कृति ,उनके रहन-सहन का गहन अध्ययन करने के पश्चात कई विषयों पर पुस्तकें लिखी ।उनकी सबसे महत्वपूर्ण उपलब्धि पांच वॉल्यूम में संताली डिक्शनरी का निर्माण किया जाना है । पीओ बोर्डिंग द्वारा रचित 3000 पन्नों की पांडुलिपि माइक्रो फिल्म के रूप में उपलब्ध है ,जिसका प्रकाशन अभी भी पुस्तकों के रूप में नहीं किया गया है। उनके द्वारा कहा गया कि अभी भी हमारे नए पीढियों को पीओ बोर्डिंग द्वारा किए गए शोध कार्य को और आगे बढ़ाने की आवश्यकता है।
NEWSANP के लिए पाकुड़ से जयदेव कुमार की र रिपोर्ट

