हिंदू धर्म में दीये से जुड़ा दिवाली महापर्व दुर्भाग्य को दूर करके सुख-सौभाग्य को दिलाने वाला माना गया है. यही कारण है कि हिंदू धर्म से जुड़ा हर व्यक्ति इस पावन पर्व को मनाने के लिए पूरे साल इंतजार करता है. दिवाली की रात धन की देवी के साथ रिद्धि-सिद्धि के देवता भगवान श्री गणेश जी की विशेष पूजा का विधान है. इस दिन हर व्यक्ति अपने सामर्थ्य के अनुसार गणेश-लक्ष्मी की पूजा करके उनका आशीर्वाद प्राप्त करने का प्रयास करता है. आइए दिवाली की रात की जाने वाली उस गणेश-लक्ष्मी पूजा की सरल विधि जानते हैं, जिसे करने पर पूरे साल घर में धन-धान्य, सुख-सौभाग्य बना रहता है.
- आज दिवाली की रात गणेश-लक्ष्मी की विशेष पूजा करने के लिए उससे जुड़ा सारा सामान पूजा स्थल के पास रख लें ताकि आपको बार-बार उठकर उसे लेने न जाना पड़े.
- स्नान-ध्यान करने के बाद स्वच्छ वस्त्र पहन कर आसन पर बैठें. इसके बाद ईशान कोण यानि उत्तर पूर्व दिशा की ओर एक चौकी पर पीले कपड़ा बिछाकर गणेश लक्ष्मी की प्रतिमा या फिर चित्र को रखें. ध्यान रहे कि लक्ष्मी जी की मूर्ति हमेशा गणेश जी के दाहिनी तरफ होनी चाहिए.
- इसके बाद गणेश लक्ष्मी के सामने चावल की ढेरी बनाकर पवित्र जल भरा कलश रखें और इसके उपर नारियल को लाल रंग के कपड़े में लपेट कर रखें.
- इसके बाद कलश के सामने दो बड़े दीपक रखें. जिसमें से एक दीपक घी का और दूसरा सरसों के तेल का होना चाहिए. इसमें से तेल वाला दीपक चौकी के पास दायीं ओर रखें तथा दूसरा घी वाला दीपक गणेश लक्ष्मी के सम्मुख उनके चरणों के पास रखें.
- एक छोटी चौकी या पाटे पर लाल कपड़ा बिछाकर एक मुट्ठी चावल से नवग्रह तथा दूसरी तरफ षोडशमातृका बना दें. इस चौकी पर रोली से स्वास्तिक भी बना दें. फिर उनका ध्यान करते हुए अपनी पूजा को संपन्न और सफल बनाने की प्रार्थना करें.
20 अक्टूबर 2025, सोमवार को दिवाली पूजा का शुभ मुहूर्त
- गणेश-लक्ष्मी पूजा का सबसे उत्तम मुहूर्त – सायंकाल 07:08 से लेकर 08:18 बजे तक
- प्रदोष काल की पूजा का शुभ मुहूर्त – सायंकाल 05:46 से लेकर रात्रि 08:18 बजे तक
- वृषभ काल की पूजा का शुभ मुहूर्त – सायंकाल 07:08 से लेकर रात्रि 09:03 पी एम
- इसके बाद ॐ केशवाय नमः, ॐ नारायणाय नमः और ॐ माधवाय नमः मंत्र बोलते हुए तीन बार आचमन करें और अंत में अपना हाथ जल से साफ करें.
- अब आप अपने ऊपर ‘ॐ अपवित्रः पवित्रो वा सर्वावस्थां गतोऽपि वा. यः स्मरेत् पुण्डरीकाक्षं स बाह्याभ्यन्तर: शुचिः’ मन्त्र का जप जपते हुए पवित्र जल छिड़कें. यदि मंत्र न भी पढ़ पाएं तो सामान्य रूप से जल छिड़कर कर स्वयं को और पूजा स्थल को पवित्र करें.
- इसके बाद गणेश लक्ष्मी की पूजा को प्रारंभ करने से पहले हाथ में कुछ दक्षिणा, अक्षत और आचमन से थोड़ा जल लेकर दिवाली की पूजा का संकल्प करें.
- दिवाली पूजा की शुरुआत अब सबसे पहले भगवान श्री गणेश जी करें. फिर उसके क्रमश: कलश देवता, नवग्रह, षोडश मातृका पर जल छिड़कें.
- इन सभी देवताओं को स्नान कराने के लिए उन पर ‘स्नानं समर्पयामि’ मंत्र से जल छिड़कें.
- इसके बाद ‘वस्त्रं समर्पयामि’ बोलते हुए वस्त्र अर्पित करें. यदि वस्त्र न हो तो आप उसकी जगह कलावा अर्पित करें. इसके बाद सभी को ‘गन्धं समर्पयामि’ बोलते हुए रोली का तिलक लगाएं. इसके बाद गणपति को जनेऊ अर्पित करें.
- इसके बाद सभी देवताओं को अक्षत अर्पित करते हुए ‘अक्षतान् समर्पयामि’ बोलें. फिर धूप दिखाते हुए ‘धूपम् आघ्रापयामि और दीपक दिखाते हुए ‘दीपं दर्शयामि’ बोलें.
- इसके बाद फल और मिठाई आदि चढ़ाते हुए ‘नैवेद्यं निवेदयामि’ बोलें. भोग लगाने के बाद एक बार फिर जल अर्पित करते हुए ‘आचमनीयं समर्पयामि’ बोलें. फिर अंत में पान, सुपारी, लौंग, इलायची आदि अर्पित करते हुए ‘ताम्बूलं समर्पयामि’ बोलें. इसके बाद अपनी आस्था और सामर्थ्य के अनुसार कुछ दक्षिणा चढ़ाएं.
- यदि आपके पास शंख है तो उसे चौकी पर दायीं ओर अक्षत पर रखें. और उसका भी विधि-विधान पुष्प, रोली चंदन आदि से पूजा करें.
मां लक्ष्मी की पूजन विधि
इसके बाद धन की देवी मां लक्ष्मी की पूजा प्रारंभ करें. सबसे पहले उनकी मूर्ति पर जल छिड़कें और हथ में थोड़ा अक्षत लेकर मां महालक्ष्मी का ध्यान करते हुए बोलें
अस्यै प्राणा: प्रतिष्ठन्तु अस्यै प्राणा: क्षरन्तु च.
अस्यै देवत्वमर्चायै मामहेति च कश्चन.
इसके बाद लाल कमल लेकर माता लक्ष्मी को अर्पित करें. फिर माता लक्ष्मी को वस्त्र, आभूषण, रोली-चंदन, सिंदूर, कुंकुम, अक्षत, हल्दी की गांठ, गुड़, धनिया, फल-फूल, मिष्ठान आदि अर्पित करें. इसके बाद माता लक्ष्मी को पान सुपाड़ी, लौंग, इलायची अर्पित करें. फिर धूप-दीप दिखाते हुए माता लक्ष्मी की पूजा करें. इसके बाद अंत में माता लक्ष्मी को अपने सामर्थ्य के अनुसार दक्षिणा अर्पित करें और लक्ष्मी अष्टकं या फिर अष्टलक्ष्मी मंत्र का पाठ करें.
ॐ आद्यलक्ष्मै नम:
ॐ विद्यालक्ष्म्यै नमः
ॐ सौभाग्यलक्ष्म्यै नमः
ॐ अमृतलक्ष्म्यै नमः
ॐ काम्यलक्ष्म्यै नमः
ॐ सत्यलक्ष्म्यै नमः
ॐ भोगलक्ष्म्यै नमः
ॐ योगलक्ष्म्यै नमः
इसके बाद भगवान कुबेर, मां सरस्वती और कापी-किताब, पेन, लैपटाप और यदि बही खाता हो तो उसकी पूजा करें.
पूजा के अंत में पूजन में हुई भूल-चूक के लिए क्षमायाचना करें तथा पूरे साल गणेश-लक्ष्मी समेत सभी देवी-देवताओं की कृपा बनी रहने के लिए प्रार्थना और कामना करें. दीपावली की रात को माता लक्ष्मी की कृपा पाने के लिए विशेष रूप से कनकधारा स्तोत्र का पाठ करें या फिर सुनें. पूजा पूर्ण करने के बाद अपने घर के वरिष्ठ सदस्यों का आशीर्वाद लें तथा सभी को प्रसाद बांटें और स्वयं भी ग्रहण करें.
NEWSANP के लिए रागिनी पांडेय की रिपोर्ट

