झरिया(JHARIYA) “कौन सुनेगा किसको सुनाएं इसीलिए चुप रहता है, हमसे अपने रूठ ना जाए इसीलिए चुप रहते हैं।” इन दिनों यह फिल्मी गाना बिल्कुल फिट बैठ रही है विस्थापितों के ऊपर….भू धंसान व अग्नि प्रभावित झरिया के घनुडीह बंद परियोजना के पास पिछले 07 दसकों से बसे हरिजन कॉलोनी में बसे सैकड़ों दैनिक गरीब परिवार दहशत में है. उन्हें अपने आंखों के सामने मौत के रूप में भूमिगत आग दिखाई दे रहीं हैं..जहां बरसात में भू धंसान का खतरा मंडराने लगा है.. अब लोग सुरक्षित स्थानों पर बसना चाहने है।
अग्नि प्रभावित क्षेत्र में ही टूटे फूटे घरों में अपने छोटे छोटे बच्चे व बूढ़े माता पिता को लेकर रहने को बेबस हैं। स्थानीय लोगों की माने तो घनुडीह परियोजना को भू धंसान एवं अग्नि प्रभावित घोषित करते हुए सुरक्षा मानकों को ध्यान में रखते लगभग एक दशक पूर्व बंद करते हुए बीसीसीएल कंपनी ने अपने कर्मचारियों को अन्य कोलियरियों में ट्रांसफर व शिप्ट कर दिया। लेकिन आज भी भू धंसान एवं अग्नि प्रभावित घनुडीह क्षेत्र में सैकड़ों परिवार रहने को मजबूर हैं।
स्थानीय महिला मीणा हाड़ी ने बीसीसीएल प्रबंधन और जेआरडीए प्रबंधन पर आरोप लगाते हुए कहा कि घनुडीह हरिजन कालोनी में लगभग दस घर भू धंसान एवं अग्नि प्रभावित क्षेत्र के चपेट में आ गई है और कई घरों की चारदीवारी जमींदोज हो चुकी हैं घर के आंगन में जहरीली गैस रिसाव हो रही है बूढ़े बच्चे विभिन्न प्रकार के बीमारियों से ग्रसित हो रहे हैं। जिसकी जानकारी मिलने पर प्रबंधन हमलोगों से मिलने जरूर आए और विस्थापन कराने की बात कह चले गए लेकिन जिस जगह पर हमलोगों को प्रबंधन शिफ्ट करना चाहती है उस जगह पर घर तो है पर खिड़कियों में दरवाजे की जगह पर ईट रख कर बंद किया हुआ और ना ही पानी – बिजली की व्यवस्था है। ऐसे में उक्त स्थल पर जाना या बसना हम समझते हैं कि सुरक्षा की दृष्टिकोण से कहीं भी सुरक्षित नहीं है।
NEWSANP के लिए झरिया से अरविंद सिंह बुंदेला की रिपोर्ट